Wednesday, December 11, 2024
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ग्वालियर में नाथूराम गोडसे पर फिर बवाल, हिंदू महासभा कार्यकर्ताओं की पुलिस से झूमाझटकी, छीनी तस्वीर 

ग्वालियर। राष्ट्रपति महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर ग्वालियर में फिर बवाल हो गया। गोडसे की 114वीं जयंती पर हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच बहस हुई। कार्यकर्ताओं से पुलिस ने गोडसे की तस्वीर छीन ली। इस दौरान उनके बीच झूमाझटकी भी हुई। घटनाक्रम शुक्रवार दोपहर इंदरगंज स्थित गैंडेवाली सड़क  जलाल खां की गोठ काली माता मंदिर पर हुआ।

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने 7 दिन पहले कहा था कि 19 मई को नाथूराम गोडसे की जयंती पर फल वितरित किया जाएगा। इस मौके पर गोडसे की तस्वीर का पूजन भी करेंगे। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर गोडसे की मूर्ति जगह-जगह लगाने की घोषणा करने का ऐलान किया था।

एहतियात के तौर पर शुक्रवार सुबह से हिंदू महासभा भवन पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया। इसके बाद हिमस ने यह कार्यक्रम इंदरगंज स्थित गैंडेवाली सड़क जलाल खां की गोठ में काली माता मंदिर पर रख लिया। यहां गोडसे की तस्वीर रखकर पूजा-अर्चना कर जयंती मनाने की कोशिश में थे। जैसे ही, हिमस के जिलाध्यक्ष लोकेश यहां गोडसे की तस्वीर लेकर पहुंचे, तो पुलिस फोर्स पहुंच गया। पुलिस ने लोकेश से गोडसे की तस्वीर छीन ली।

तस्वीर छीनने का हिमस कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। इस दौरान दोनों के बीच जमकर बहस और झूमाझटकी हुई। बाद में पुलिस ने गोडसे की तस्वीर थाने में ले जाकर रख दी।

पुलिस का दावा- नहीं होने दिया कार्यक्रम

पुलिस का दावा है कि हिमस को कोई भी अनैतिक कार्यक्रम नहीं करने दिया गया है, जबकि हिमस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने कहा है कि हमने जिस कार्यक्रम की घोषणा की थी, वह किया है। गोडसे की जयंती मनाई गई है। बस्तियों में फल बांटे गए हैं।

गोडसे की मूर्ति लगाने PM को लिखा पत्र

हिंदू महासभा ने कहा कि गोडसे ने देश के विभाजन का प्रतिकार किया था, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें देश के विभिन्न स्थानों पर नाथूराम गोडसे की मूर्ति लगवाने की मांग की है। युवा भी जान सकें कि नाथूराम गोडसे की विचारधारा क्या थी।

ग्वालियर से गोडसे का नाता

बताया जाता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में उपयोग की गई पिस्तौल ग्वालियर रियासत के टाइम पर खरीदी गई थी। हत्या से पहले तीन दिन नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे ग्वालियर में हिंदू महासभा के गढ़ में ही ठहरे थे। यहां स्वर्ण रेखा नदी के किनारे उन्होंने पिस्तौल साधना और निशाना लगाने की प्रैक्टिस की थी। यहीं से एक दिन पहले वह दिल्ली पहुंचे। महात्मा गांधी की हत्या को अंजाम दिया था। यही कारण है कि हिमस गोडसे को यहां पूजती है। उनका मानना है कि विभाजन का कारण महात्मा गांधी थे और गोडसे ने उसके प्रतिकार के रूप में यह कदम उठाया।

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