देश में समान नागरिक संहिता जल्द लागू हो, बच्चों के अधिकारों की रक्षा करें- विहिप
रायपुर। रायपुर में केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने विधि आयोग द्वारा ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) जल्द लागू करने की मांग की है। विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि यह संतोष की बात है कि आयोग ने इस विषय पर सभी हितधारकों से विचार आमंत्रित किए हैं। भारतीय समाज के सभी वर्गों के सुझाव प्राप्त कर व उन पर विचार कर शीघ्र ही यूसीसी को अधिनियमित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 सभी सरकारों को भारत में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का उल्लेख है।
आलोक कुमार ने कहा- अफसोस है कि जो सांसद और विधायक “भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने” की शपथ लेते हैं। वे संविधान के इन 73 वर्षों में भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लाने में विफल रहे हैं।
विहिप नेता ने यह भी कहा कि सरला मुद्गल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द यूसीसी को अधिनियमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कई हाईकोर्ट ने बार-बार इसकी आवश्यकता पर जोर दिया है। कोर्ट ने याद दिलाया कि अनुच्छेद 51ए के तहत, “धार्मिक विविधताओं से भारत के सभी लोगों के बीच सद्भाव और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना” सभी नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है।
आलाेक कुमार ने कहा कि भारत में सभी नागरिक आपराधिक कानून, संपत्ति, अनुबंध और वाणिज्यिक कानूनों सहित सामान्य कानूनों द्वारा शासित होते हैं। उन्होंने कहा, ऐसा कोई कारण नहीं है कि पारिवारिक कानून ही एकमात्र अपवाद क्यों बने रहें।
इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि धार्मिक समुदाय के व्यक्तिगत कानून महिलाओं की गरिमा, समानता और अन्य अधिकारों का गंभीर उल्लंघन करते हैं। बहुविवाह, तलाक और उत्तराधिकार के बारे में उनके प्रावधान आधुनिक समय से करीब 1400 वर्ष पीछे हैं। इस तरह की प्रथाएं संविधान द्वारा प्रदत्त महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। इसी तरह, यूसीसी के तहत बच्चों के अधिकारों को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि विधि आयोग समाज के विभिन्न वर्गों से अच्छी प्रथाओं को सामिल करके संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप यूसीसी का मसौदा शीघ्र तैयार करेगा।