Friday, November 15, 2024
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आदिवासी नेता नंदकुमार साय कांग्रेस में शामिल, PCC चीफ मरकाम ने दिलाई सदस्यता

रायपुर। पूर्व सांसद और आदिवासी नेता नंदकुमार साय कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इसके साथ साय ने भाजपा से चार दशक पुराना साथ छोड़ दिया। PCC अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सोमवार को राजीव भवन में उन्हें सदस्यता दिलाई। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, वन मंत्री मो अकबर, प्रेमसाय सिंह टेकाम, अनिला भेड़िया, सत्यनारायण शर्मा समेत कांग्रेस के कई नेता मौजूद रहे।

नंदकुमार साय ने रविवार को भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने आज कांग्रेस की सदस्यता ले ली। इस दौरान, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नंद कुमार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नंद कुमार ने गरीबों और आदिवासियों के लिए संघर्ष किया। वह सच्चे आदिवासी नेता हैं।

भूपेश बघेल ने कहा कि नंदकुमार का जीवन सादगी भरा है। वे अनाज तो खाते हैं, लेकिन नमक नहीं खाते। पूरा जीवन आदिवासियों की सेवा के लिए संघर्ष किया। गरीबों के लिए लड़ते रहे। हमारी सरकार बनने के बाद आदिवासियों के हित में लिए गए निर्णय पर सार्वजनिक रूप से हमारे कामों की प्रशंसा करते रहे हैं।

भूपेश बघेल ने कहा, नंदकुमार साय के कांग्रेस में शामिल होने की बातचीत पहले से चल रही थी, लेकिन कल रात में नंद कुमार साय ने कांग्रेस में शामिल होने का मन बनाया। पत्र कुमारी सेलजा को भेजा। इसके बाद कुमारी सेलजा ने ये जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को दी। फिर उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश की अनुमति दी। जिसके बाद पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने सदस्यता दिलाई।

बीजेपी की मनाने के लिए नाकाम कोशिश

इससे पहले बीजेपी के सीनियर नेता विष्णु देव साय और संगठन महामंत्री पवन साय समेत कुछ और नेता नंदकुमार साय के निवास पहुंचकर उनसे मुलाकात करने की कोशिश। वे उन्हें मनाना चाहते थे, लेकिन उन्हें जानकारी दी गई कि, वह दिल्ली में हैं। जब उनसे फोन से संपर्क करवाने को कहा गया, तो प्रतिक्रिया नहीं आई। निवास पर नंद कुमार साय के बेटे से मुलाकात हुई, और फिर बीजेपी नेता लौट गए।

साय ने इस्तीफे में क्या लिखा…

मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है, जिससे मैं आहत महसूस कर रहा हूं। उन्होंने अपना इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा था कि बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैंने बीजेपी में अपने सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया।

चार दशक से ज्यादा पुराना नाता बीजेपी से तोड़ा

तीन बार के लोकसभा सांसद और तीन बार के विधायक साय पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। बीजेपी के प्रमुख आदिवासी चेहरा व उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। वह 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए। और 1985 में तपकरा से भाजपा विधायक चुने गए।

1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख रहे।नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने।

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