व्यापारियों ने लिया 10 दिनों तक अनाज मंडी बंद रखने का निर्णय; किसानाें की समस्या- कहां बेचेंगे उपज
छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा के कुसमैली स्थित अनाज मंडी शुक्रवार से अगले 10 दिन बंद रहेगी। यह निर्णय मंडी व्यापारियों ने बैठक कर लिया है। इससे किसानों की समस्या बढ़ गई है। मंडी व्यापारियों और अधिकारियों के इस फरमान के बाद अनाज बेचने की मुसीबत खड़ी हो गई है। ऐसे में किसान त्योहार मनाने की दिक्कत भी खड़ी हो गई है। इधर, चौरई अनाज मंडी में खरीदी हो रही है। वहीं, अमरवाड़ा में महज दो दिन का अवकाश रखा गया है। यहां भी दीपावली के बाद अनाज मंडी शुरू हो जाएगी।
दरअसल, कुसमैली अनाज मंडी में व्यापारियों के निर्णय के बाद 10 दिनों का अवकाश रखा गया है। चारगांव प्रहलाद के मुरली वर्मा ने बताया कि कुसमैली अनाज मंडी बंद होने के कारण मक्का नहीं बेच पाया। अब त्याेहार मनाने के लिए किसी से उधार लेना होगा।
इसी तरह, कुंडाली के हरिओम डोले ने बताया कि मेरा तीन एकड़ खेत है। मुश्किल से उधार लेकर फसल उगाई। अब त्यौहार के ऐन मौके पर मंडी बंद कर दी गई है। दुकानदारों के भी पैसे देना है। जिन लोगों से उधार लेकर खाद बीज खरीदा था, उन्हें भी पैसा देना है। समझ नहीं आ रहा कि त्योहार कैसे मनाएंगे। यह कहानी कमोबेश मंडी में आने वाले हर किसान की है।
कब कब बंद और खुली रहेगी मंडी
बता दें कि अमरवाड़ा मंडी में आज और कल का अवकाश रखा गया है। वहीं, 13, 14 और 15 को खुली रहेगी, जबकि 16 और 17 नवम्बर को चुनाव के कारण मंडी बंद रहेगी। इसी तरह चौरई मंडी आज खुली है। किसान उपज ले जाकर बेच रहे हैं। रविवार 12 नवम्बर को मंडी बंद रहेगी। वही 13 नवम्बर को मुहूर्त निकालकर उपज बेची जाएगी। 14 और 15 नवम्बर को भी खुली रहेगी। विधान सभाी चुनाव होने के कारण 16 और 17 को मंडी बंद रहेगी।
किसानों का आरोप- व्यापारियों का दवाब तो नहीं?
किसानों का आरोप है कि कुसमैली अनाज मंडी में व्यापारियों और अधिकारियों, कर्मचारियों की बैठक का निर्णय लिया गया। इसमें 10 दिन के अवकाश पर सहमति बनी। वहीं, अमरवाड़ा और चौरई सहित अन्य मंडियों में इतना लंबा अवकाश नहीं है।
अधिकारी मांग रहे आदेश
मंडी सचिव को फोन लगाया गया, तो उन्होंने कॉल रिसील नहीं किया। मंडी प्रशासन एसडीएम ने अवकाश के आदेश की प्रति मंगाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर निर्णय लिया गया है।
व्यापारी चला रहे मंडी?
इन दिनों अनाज मंडी में व्यापारियों का प्रभाव है। उनके निर्णय का प्रशासक या किसी भी मंडी अधिकारी ने विरोध नहीं किया। वहीं, किसान नेता ने भी आवाज नहीं उठाई। किसानों को मजबूरी में व्यापारियों को सस्ता अनाज बेचने मजबूर हो जाएं।