कान्हा टाइगर रिजर्व के पास घायल मिले टाइगर की मौत, शरीर पर कई जगह घाव
बालाघाट। मध्यप्रदेश के बालाघाट में कान्हा टाइगर रिजर्व के पास घायल मिले टाइगर की मौत हो गई। उसके शरीर पर कई जगह घाव मिले। टाइगर रिजर्व के अफसरों ने बताया कि घायल बाघ बूढ़ा था। ऐसे में उसे डॉट गन से बेहोश करना उचित नहीं था। कमजोरी के कारण वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा था।
रविवार को कान्हा नेशनल पार्क की सीमा से लगे कोहका गांव में बाघ जख्मी हालत में मिला। दिनभर वह तालाब के किनारे बैठा रहा। चल भी नहीं पा रहा था। उठकर चलने की कोशिश करता, लेकिन लड़खड़ाकर फिर वहीं बैठ जाता। जानकारी मिलने पर वहां भीड़ जुट गई।
दिनभर तालाब के किनारे बैठा रहा, शाम को दम तोड़ा
दोपहर में वन विभाग और कान्हा नेशनल पार्क के अधिकारी भी पहुंचे। वन अमले ने दो हाथियों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। टाइगर को लिफ्ट करने ही वाले थे कि पता चला कि उसकी सांसें थम चुकी हैं। अधिकारियों ने बताया कि बाघ की उम्र करीब 13 से 14 साल थी। वह कई दिनों से भूखा भी था।
दूसरे बाघ या अन्य जानवरों से संघर्ष में चोट की आशंका
अफसरों का कहना है कि बाघ के शरीर पर चोट लगी थी। आशंका है कि वह दूसरे बाघ या किसी अन्य जानवर से संघर्ष में घायल हो गया था। उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वह चोट सह पाता।

कान्हा और आसपास के जंगल में 200 से ज्यादा बाघ
देश में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ हैं। यही कारण है कि प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। अकेले कान्हा नेशनल पार्क और आसपास के जंगलों में 200 से ज्यादा बाघ हैं। टाइगर को देखने कान्हा में हर साल देशभर के साथ ही विदेश से भी पर्यटक आते हैं।
डॉक्टर पहले ही आशंका जता चुके थे
कान्हा टाइगर रिजर्व के वाइल्ड लाइफ चिकित्सक डॉ. संदीप अग्रवाल ने आशंका जता दी थी कि बाघ वृद्धावस्था में है। वह अपनी अंतिम अवस्था में है। वह सिर भी नहीं उठा पा रहा है। उसकी रिकवरी की उम्मीद नहीं है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि उसे तालाब से बाहर निकालने की कोशिश की गई, लेकिन वह दो कदम भी नहीं चल पा रहा था। उसके केनाइन खत्म हो गए थे।