MP में तीसरा कोरोना संक्रमित मिला, अब नॉर्वे से जबलपुर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई
भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना फिर से पांव पसार रहा है। अब तीसरा कोरोना संक्रमित केस मिला है। नॉर्वे से जबलपुर आई महिला की रिपाेर्ट पॉजिटिव आई है। इससे पहले इंदौर में दो केस मिल चुके हैं। दोनों मालदीव से आए थे।
हालांकि ये पुष्टि नहीं हुई है कि तीनों कोरोना के नए जेएन.1 सब वैरिएंट से संक्रमित हैं। बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार ने जेएन.1 सब वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी किया है। ये वैरिएंट ज्यादा स्ट्रॉन्ग बताया जा रहा है।
इससे पहले, सरकार ने विदेश से लौटे वायरल फीवर के मरीजों की निगरानी के निर्देश दिए हैं। सभी जिलों को संक्रमण को नियंत्रित करने और मरीजों के इलाज के इंतजाम करने को कहा गया है।
गाइडलाइन में कोरोना पेशेंट का इलाज करने वाले डॉक्टर्स, सैंपल लेने वाले मेडिकल स्टाफ और फ्रंट लाइन वर्कर्स को सर्दी, खांसी, बुखार (वायरल इन्फेक्शन) होने पर कोविड टेस्ट कराने के निर्देश दिए गए हैं।
इंदौर में एक हफ्ते में 2 पेशेंट मिले
इंदौर में एक हफ्ते में कोरोना के दो मरीज मिले हैं। इनमें 33 साल की महिला 13 दिसंबर और दूसरा 38 वर्षीय पुरुष 18 दिसंबर को पॉजिटिव मिला था। दोनों एक ही परिवार के हैं। पलासिया के रहने वाले दोनों कुछ दिन पहले मालदीव से लौटे थे।
दोनों को होम आइसोलेट हैं। सैंपल जीनोम सीक्वेसिंग के लिए भोपाल भेजे गए हैं।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने (19 दिसंबर) को कोरोना वायरस के ‘जेएन.1’ सब वैरिएंट को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ करार दिया है। कहा था कि इससे वैश्विक जनस्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरा नहीं है।
ऑक्सीजन प्लांट की हालत खराब
स्वास्थ्य विभाग की कोविड हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्टेटस रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में लगाए गए 34 % ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट बंद (नॉन फंग्शनल) हैं। रिपोर्ट ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के मॉकड्रिल डेटा के आधार पर तैयार की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की सबसे ज्यादा खराब स्थिति सागर संभाग में है। यहां अस्पतालों में लगाए गए 64.70 प्रतिशत प्लांट नॉन फंग्शनल हैं। उज्जैन संभाग में 42.85 प्रतिशत और ग्वालियर संभाग में 36.58 प्रतिशत ऑक्सीजन प्लांट वर्किंग नहीं हैं।
शाजापुर जिले में कोरोना मरीज के लिए आईसीयू में एक भी बेड नहीं है। सिंगरौली के अस्पतालों में 108 और शहडोल में अस्पतालों में 12 आईसीयू बेड हैं लेकिन ये नॉन फंग्शनल हैं।
कोमोर्बिड पेशेंट को खतरा ज्यादा
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक को-मोर्बिडिटी (किडनी, हार्ट, लिवर, फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के मरीज, सीनियर सिटीजन) कैटेगरी के पेशेंट्स को वायरल होने पर कोविड की जांच करानी चाहिए। अपडेट लेते रहें, ताकि सेहत बिगड़ने से पहले मरीज को जरूरी इलाज दिया जा सके।
कोविड पेशेंट का सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए भेजा जाए ताकि वायरस की प्रकृति में हो रहे बदलावों की पहचान की जा सके। साथ ही संबंधित नए स्ट्रेन की जानकारी आईसीएमआर और एनआईवी पुणे को दी जा सके।