Friday, December 13, 2024
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उज्जैन में सिंहस्थ 2028 को लेकर 28 से 23 मई तक 13 अखाड़ों की होगी बैठक

उज्जैन। उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ-2028 की तैयारियों को लेकर 28 से 30 मई तक 12 अखाड़ों की बैठक होगी। इसमें शिप्रा स्वच्छता, सिंहस्थ क्षेत्र में अतिक्रमण समेत अन्य बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा। जूना अखाड़ा को पांच जगह से शिप्रा जल के नमूने लेने अधिकृत किया गया है। जल के नमूनों की निजी लैब में जांच कराई जाएगी।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरिगिरिजी महाराज ने बताया कि बैठक में शिप्रा की सफाई और स्वच्छता को लेकर चर्चा होगी। शिप्रा पर बांध बनाने की जरूरत है। राज्य सरकार को इससे अवगत कराया जाएगा। बैठक को लेकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी अवगत कराया जा रहा है।  28 व 29 मई को सुबह नौ बजे दत्त अखाड़ा और 29 मई की शाम को दातार अखाड़े में बैठक का आयोजन होगा। 30 मई को गंगा दशहरा के अवसर पर नीलगंगा सरोवर पर बैठक रखी जाएगी।

नर्मदा समस्या का समाधान नहीं, शिप्रा पर बनाएं बांध

हरिगिरि जी ने कहा कि शिप्रा को सदानीरा व प्रवाहमान रखने के लिए नर्मदा का जल इसमें छोड़ना समस्या का समाधान नहीं है। शिप्रा पर बांध बनाना जरूरी है। इससे बारिश के पानी को इकट्‌ठा किया जाए, ताकि यह साल भर प्रवाहमान बनी रहे।

सिंहस्थ में 11 करोड़ लोगों के आने का अनुमान

महंत हरिगिरी जी महाराज ने कहा कि सिंहस्थ महाकुंभ-2028 में देश-विदेश से 11 करोड़ लोगों के उज्जैन आने का अनुमान है। सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालु ओंकारेश्वर, महेश्वर भी जाएंगे। बैठक में सिंहस्थ की तैयारी के साथ इन स्थानों पर भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इंतजाम करने पर चर्चा होगी।

शिप्रा की वर्तमान स्थिति खराब

वर्तमान में मोक्षदायिनी शिप्रा नदी की स्थिति बहुत खराब है। त्रिवेणी से कालियादेह महल और उसके आगे तक शिप्रा का पानी आचमन छोड़ स्नान लायक नहीं है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे स्वीकारता है। बोर्ड ने शिप्रा के पानी को ‘डी-ग्रेड’ का माना है। रामघाट वाले हिस्से में नगर निगम के प्रयास से शिप्रा का पानी जरूर स्वच्छ दिखाई पड़ता है, मगर उसके आगे और पीछे पानी काला, गंदा है।

भूखीमाता मंदिर घाट और रामघाट के आगे सुनहरी घाट, चक्रतीर्थ घाट, ऋण मुक्तेश्वर मंदिर घाट तक शिप्रा में कचरा, थर्माकोल, पालीथिन, फेंके गए कपड़े पड़े हैं। गंगा घाट से लेकर मंगलनाथ मंदिर, भैरवगढ़ और अंगारेश्वर घाट तक नदी में जलकुंभी जमी है। इससे आगे भी शिप्रा का पानी बहुत गंदा है। इंदौर की कान्ह नदी और नालों का पानी मिलने के कारण भी नदी दूषित है।

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