तहसीलदार ने किसान को कहा ‘चूजा’, बोलीं- अंडे से निकले नहीं, मरने-मारने की बात कर रहे; मुख्यालय अटैच

देवास। देवास में सोनकच्छ तहसीलदार डॉ. अंजली गुप्ता ने किसान को ‘चूजा’ कहा। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें वह कहते दिख रही हैं कि ‘चूजे हैं, अंडे से निकले नहीं, बड़ी-बड़ी बात कर रहे हैं।’ वीडियो सामने आने के बाद उन्हें सोनकच्छ से हटाकर जिला मुख्यालय अटैच कर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आदेश पर कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने ये कार्रवाई की है। सोनकच्छ तहसीलदार का प्रभार नायब तहसीलदार लखनलाल सोनानीया को सौंपा गया है।
मामला गुरुवार को कुमारिया राव गांव का है। इसका वीडियो सोमवार को सामने आया। गांव के किसान यहां बिजली टावर लगाने का विरोध कर रहे हैं। सोनकच्छ तहसीलदार डॉ. अंजली गुप्ता उनसे बात करने पहुंची थीं। इसी दौरान किसी ने कुछ कहा, तो भड़क गईं। उन्होंने वीडियो बनाने वाले का मोबाइल भी छीनने की कोशिश की।
ये कहा तहसीलदार ने
वीडियो में तहसीलदार डॉ. अंजली गुप्ता कहती सुनाई दे रही हैं- ‘चूजे हैं, अंडे से निकले नहीं, बड़ी-बड़ी बात कर रहे हैं। मरने की, मारने की बात कर रहे हैं। कैसे बोल दिया कि इररिसपॉन्सिबल हूं। मैं एमपीपीटीसीएल (मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड ) से हूं क्या.. मैं तहसीलदार हूं। किसका प्रोजेक्ट है, शासन का प्रोजेक्ट है। शासन व सरकार को किसने चुना है, आपने चुना है। मैंने नहीं चुना है।’
सीएम बोले- सुशासन हमारी सरकार का मूल मंत्र
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वीडियो पर सोमवार रात करीब साढ़े 9 बजे संज्ञान में लिया। उन्होंने कहा, ‘अधिकारी आम लोगों के साथ सभ्य और शालीन भाषा का इस्तेमाल करें। इस तरह की अभद्र भाषा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।’ मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सुशासन हमारी सरकार का मूल मंत्र है।
बिजली टावर का विरोध कर रहे किसान
तहसीलदार डॉ. गुप्ता ने बताया, ‘गुरुवार को कुमारिया राव गांव गए थे। यहां 132 केवी की लाइन डाली जा रही है। कुछ किसान हैं, जिनके खेत में बिजली का टावर आ रहा है। वे इसका विरोध कर रहे थे। हम समझाइश दे रहे थे।
हमने कहा कि टावर लगने पर मुआवजा दिया जाएगा। यह शासकीय काम है। इसे होने दिया जाए, इसे न रोकें। 20 दिन से बिजली कंपनी के लोग समझा रहे थे। तीन-चार बार मेरी भी बात हो चुकी थी। इसके बाद उन लोगों ने सहमति दे दी थी।’
बोलीं- अपशब्द कहने पर डांटा था
अंजली गुप्ता ने कहा कि ‘गुरुवार को फिर किसानों ने काम रोक दिया। इसके बाद हम मौके पर पहुंचे। घर के बुजुर्गों से बातचीत कर समझाया। इस बीच घर के बच्चों ने वाद-विवाद शुरू कर दिया। उन्होंने अपशब्द कहे, जिसके रिएक्शन में मैंने भी डांट लगाई।
उसके बाद मामले का निराकरण हो गया। दो दिन बाद वे सभी आकर आवेदन दे गए थे कि हमें माफ कर दें।