सुप्रीम कोर्ट MP में बीएड एडमिशन रिजर्वेशन पर सख्त, कहा- समीक्षा करे सरकार
भोपाल। बीएड पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए प्रदेश के लोगों को 75% रिजर्वेशन देने की नीति पर मध्यप्रदेश सरकार समीक्षा करे। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के रहवासियों 75 % रिजर्वेशन ज्यादा है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि हालांकि राज्य को अपने निवासियों के लिए सीटें आरक्षित करने का अधिकार है, लेकिन ऐसा करते समय उसे जमीनी हकीकत को ध्यान में रखना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगले शैक्षणिक वर्ष से सीटों की संख्या निवासियों और गैर-निवासियों के लिए फिर से तय की जाए।
कोर्ट ने कहा कि हालांकि राज्य के रहने वालों के पक्ष में रिजर्वेशन की छूट है, फिर भी कुल सीटों का 75 % आरक्षण थोक आरक्षण बनाता है। इसे प्रदीप जैन (मामले) में संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के मुताबिक असंवैधानिक और उल्लंघनकारी माना गया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि ऐसे आरक्षण की सीमा क्या होनी चाहिए? इस बारे में वास्तविक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों की जांच की जाए।
पीठ ने यह भी कहा कि यह थोक आरक्षण किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर रहा है, बल्कि यह मूल उद्देश्य को विफल करता है। अधिकारियों द्वारा मामले में निर्णय लेते समय इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। आज से दो महीने के भीतर यह काम कर लिया जाए।
गौरतलब है कि राज्य की नीति के अनुसार बीएड पाठ्यक्रमों में 75 फीसदी सीटें मध्य प्रदेश के रहने वालों के लिए आरक्षित हैं। केवल 25 प्रतिशत सीटें अन्य राज्यों के लोगों के लिए हैं।
कोर्ट ने वीणा वादिनी समाज कल्याण विकास समिति की याचिका पर सुनवाई की, जो बीएड और एमएड पाठ्यक्रमों के लिए उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करती हैं। उन्होंने इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में राज्य शासन की इस कोटा व्यवस्था के खिलाफ याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज करने के बाद उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।