Sunday, June 8, 2025
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शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में जाने से किया इनकार, बोले- मोदी की कूटनीति को समझना कठिन 

Shankaracharya Nischalanand Saraswati refused to go to Ram Temple Pran Pratistha, said - it is difficult to understand Modi's diplomacy, kalluram news, ram mandir, ratlam
निश्चलानंद सरस्वती बुधवार को रतलाम पहुंचे थे।

रतलाम। जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में जाने से इनकार किया है। आमंत्रण को लेकर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति को स्पर्श करेंगे। मैं वहां ताली बजाकर जय-जय करूंगा। मुझे पद की गरिमा का ध्यान है, इसलिए मेरा जाना उचित नहीं है। राजनेता अपने दांव खेलते रहते हैं।

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बुधवार को त्रिवेणी मेला में शामिल होने रतलाम पहुंचे थे। यहां उन्होंने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि मोदी नमन, मिलन, दमन, अंकन, गमन इन सभी कूटनीति में माहिर हैं। उनकी कूटनीति को समझना कठिन है।

मैं 100 लोगों के साथ भी नहीं जाऊंगा 

अयोध्या जाने के निमंत्रण को लेकर उन्होंने कहा कि मैं मठ में बहुत दिन से गया नहीं हूं। आमंत्रण आया भी है, तो एक व्यक्ति के साथ आने का है, लेकिन मैं 100 लोगों के साथ भी नहीं जाऊंगा। मुझे पद की गरिमा का ध्यान है।

धर्मस्थलों को बना दिया टूरिस्ट प्लेस, यह गलत

शंकराचार्य ने कहा कि राजधर्म राजनीति का पर्याय है। किसी मंदिर की तोड़ने की क्षमता सरकार में नहीं है। क्योंकि वह हमसे से डरती है। तीर्थस्थली को तपस्थली कहते हैं, लेकिन उसे अब पर्यटन का केंद्र बनाया जा रहा है। तब उसका नाम भोग स्थली हो जाता है। दुनिया में चाहे जिस भी धर्म के लोग हों, उन सभी के पूर्वज हिंदू थे।

शंकराचार्य ने उदाहरण के तौर पर बताया कि केंद्रीय शासन तंत्र ने झारखंड में पारसनाथ तीर्थस्थली को पर्यटन का केंद्र बनाया, लेकिन जैन समाज व साधु संतों के विरोध के बाद केंद्र को सरकार ने निर्णय वापस ले लिया। हमारी बात का प्रभाव जैनियों पर पड़ गया, लेकिन हिदुओं पर नहीं पड़ा। हम जब किसी तीर्थस्थल की पर्यटन का केंद्र बनाते हैं, तो होटल वाले, यातायात वाले सबकी जेब भरने का मार्ग प्रशस्त होता है। आजकल व्यसन चल गया है। तीर्थस्थल जो है, वह भोग स्थली बन रहे हैं।

रतलाम से रायपुर के लिए हुए रवाना

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती गुरुवार दोपहर को रतलाम से नागदा के लिए रवाना हुए। नागदा से ट्रेन से वह रायपुर जाएंगे। उन्होंने भक्तों को दीक्षा भी दी। भक्तों ने आशीर्वाद लेकर हिंदू राष्ट्र बनाने के नारे भी लगाएं।

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