MP के रिटायर्ड नेवी अफसर को कतर में सजा-ए-मौत, जासूसी का आरोप; सरकार बोली- मदद का रास्ता खोज रहे
भोपाल। गल्फ कंट्रीज के कतर में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई है। फैसला गुरुवार को कतर की कोर्ट ने सुनाया है। ये लोग पिछले एक साल से कतर की अलग-अलग जेलों में कैद हैं। आठ लोगों में मध्यप्रदेश के रहने वाले पूर्णेंदु तिवारी भी शामिल हैं।
ग्वालियर में रहने वाली उनकी छोटी बहन डॉक्टर मीतू भार्गव ने 25 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर मदद मांगी थी। उन्होंने लिखा था, ‘भाई पुर्णेंदु तिवारी इंडियन नेवी से रिटायर्ड ऑफिसर हैं। वे अपने 7 ऑफिसर के साथ कतर की कंपनी दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते हैं। पुर्णेंदु इस कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। कंपनी की ओर से ये सभी 8 रिटायर्ड इंडियन नेवी ऑफिसर कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने गए थे। अचानक वहां की सरकार ने उन्हें नजरबंद कर दिया।’
इन 8 पूर्व नौसेना अफसरों को मौत की सजा
- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल, सेलर रागेश
पूर्णेंदु को कतर में प्रवासी भारतीय सम्मान मिला
दाहरा कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर रिटायर्ड कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए साल 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था। यह पुरस्कार पाने वाले वे आर्म्ड फोर्सेज के एकमात्र शख्स हैं।
उस वक्त दोहा में तब के भारतीय राजदूत पी कुमारन और कतर डिफेंस फोर्सेज इंटरनेशनल मिलिट्री कॉर्पोरेशन के पूर्व प्रमुख ने भी पूर्णेंदु का स्वागत किया था।
जासूसी के दोषी पाए जाने की आशंका
कतर सरकार ने 8 भारतीयों पर लगे आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि सॉलिटरी कन्फाइनमेंट में भेजे जाने से यह चर्चा है कि उन्हें सुरक्षा संबंधी अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी इजराइल के लिए उनके देश की जासूसी कर रहे थे। हालांकि इसमें भी कोई तथ्य पेश नहीं किया गया है।
यह पूछे जाने पर कि उन पर क्या आरोप लगाए गए हैं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस साल जनवरी में अपनी वीकली ब्रीफिंग में कहा था कि यह सवाल कतर के अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए।
भारत सरकार ने इस पर हैरानी जताई है। उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते खोजे जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि हम जजमेंट की डिटेलिंग का इंतजार कर रहे हैं।
भारत सरकार बोली- उन्हें छुड़ाने के कानूनी रास्ते खोज रहे
कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया।
30 सितंबर को इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई। पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया। इसके बाद इन लोगों को हर हफ्ते परिवार के सदस्यों को फोन करने की अनुमति दी गई। दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस दिसंबर में दिया गया।