‘हिंदू जनजातीय समाज के उत्थान और धर्मांतरण से मुक्ति के लिए संकल्पित’
नई दिल्ली। हिंदू समाज जनजाति समाज के उत्थान यानी सर्वांगीण विकास के साथ धर्मांतरण के अभिशाप से मुक्ति के लिए संकल्पित है। यह बात विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कही।
नई दिल्ली में सिविक सेंटर स्थित केदारनाथ साहनी ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ के 40वें वैचारिक क्रांति शिविर आयोजित किया गया। शनिवार को शिविर के समापन अवसर पर परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज में व्याप्त अशिक्षा, अभाव व अंधकार को दूर करके भारत को प्रकाश मान बनाने का सपना साकार हो सकता है। जनजाति क्षेत्रों में सेवा कार्यों के विकास के साथ मिशनरियों और जिहादियों के कुकृत्य पर भी अंकुश लगाना होगा। देश के कई भू भाग जो जनजातीय समाज के लिए आरक्षित थे, उनमें से अनेक स्थानों पर जिहादियों और मिशनरियों का आतंक स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।
बंसल ने कहा कि फादर और चादर की कुसंस्कृति से उनकी पुरातन वैभवशाली आदर्श परंपराओं को हिंदू समाज धूमिल नहीं होने देगा। भगवान बिरसा मुंडा, टंट्या भील, सिद्धू कान्हु जैसे महापुरुषों के वंशज, जो लोग किन्हीं कारणों से धर्मांतरित हो गए, उनको भी परिजनों के साथ हम स्वधर्म में सादर वापसी करामेंगे। भारत के प्रत्येक नागरिक को वनवासी समाज की हितों की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत का एक परिवार किसी एक जनजाति बच्चे को भी गोद लेकर उसकी शिक्षा स्वाबलंबन व सांस्कृतिक उत्थान का प्रयास करे, तो उस क्षेत्र का कोई भी बच्चा अशिक्षित नहीं रह पाएगा।
इस अवसर पर झाबुआ सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा कि झाबुआ व आसपास के क्षेत्र में संघ का कार्य स्पष्ट रूप से दिखता है। ईसाई मिशनरियों के पापों से मुक्ति व जनजातीय बच्चों में शिक्षा, संस्कार व स्वावलंबन के लिए किए जा रहे आर्य समाज के कार्य सराहनीय हैं।
इस अवसर पर दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान धर्मपाल आर्य, महामंत्री विनय आर्य, अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ के प्रधान सुरेंद्र कुमार आर्य व महामंत्री जोगिंदर कट्टर, वरिष्ठ संत स्वामी शांतानंद सरस्वती व आर्य विदुषी विमलेश आर्या मौजूद रहे।