जिस बच्चे की वजह से कानून में संशोधन किया, उसे PM मोदी करेंगे सम्मानित; 26 जनवरी की परेड में भी बुलावा
इंदौर। इंदौर के रहने वाले 8 साल के अवनीश तिवारी को पीएम मोदी दिल्ली में 23 जनवरी को सम्मानित करने जा रहे हैं। वह दुर्लभ क्रोमोसोम डिसऑर्डर डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। बावजूद उसने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर फतेह हासिल की। 7 साल की उम्र में 18 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर तिरंगा फहराया था। अवनीश को आधार बनाकर सरकार को कानून में संशाेधन करना पड़ा था।
अवनीश तिवारी को इस साल प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार मिलने जा रहा है। 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अवनीश से बातचीत भी करेंगे। गणतंत्र दिवस परेड को होने वाली परेड में भी अवनीश शामिल होगा।
करना पड़ा था नियमों में बदलाव
सरकारी नियमों के अनुसार अविवाहित युवक बच्चे को गोद नहीं ले सकता। हालांकि, अवनीश के पिता ने भी ठान लिया था कि वह इस बच्चे को कानूनी रूपी से गोद लेकर ही रहेंगे। इसके बाद अवनीश के पिता ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात की। सरकार को एक इस बच्चे की खातिर संविधान में परिवर्तन करना पड़ा। उसी दौरान शहर के आदित्य तिवारी ने उन्हें गोद लेना चाहा, लेकिन नियम आड़े आ गए थे। वे अविवाहित थे। उम्र भी कम थी। अवनीश को पाने के लिए आदित्य ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी।
अनाथालय में हुई थी मुलाकात
जेनेटिक क्रोमोसोम डिसऑर्डर डाउन सिंड्रोम नाम की बीमारी से ग्रसित बच्चे को उसके माता-पिता अनाथालय में छोड़ गए थे। कुछ समय बाद इंदौर के रहने वाले समाजसेवी आदित्य तिवारी से बच्चे की मुलाकात हुई। आदित्य को बताया गया कि एक पागल बच्चा है, जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित है। आदित्य की भी शादी नहीं हुई थी।
तब अवनीश की उम्र 7 महीने थी। आदित्य ने उसे गोद ले लिया। नाम दिया अवनीश। कुछ समय बाद आदित्य ने अर्पिता से शादी की। महू आर्मी स्कूल में अवनीश नॉर्मल बच्चों के साथ पढ़ता है। अवनीश के दिल में जन्म से छेद है। घुटने भी ठीक नहीं हैं। वह कई शारीरिक परेशानियों से भी जूझ रहा है।
7 साल की उम्र में चढ़ा माउंट एवरेस्ट
अवनीश ऐसा करने वाला दुनिया का पहला बच्चा बन गया था, जिसने 7 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की। अवनीश के पिता आदित्य तिवारी के साथ 14 अप्रैल को एवरेस्ट यात्रा पर निकला था। 19 अप्रैल को वो शिखर पर पहुंचा। वे दोनों 23 अप्रैल को इंदौर लौटेंगे। आदित्य ने बताया कि वे इस ट्रैक पर 70 किलो का भार लेकर चढ़े। इसमें 10 किलो तो सिर्फ दवाएं थीं। आदित्य सिर्फ फलों पर रहे। अवनीश ने सादा दाल-रोटी खाई।