Wednesday, November 13, 2024
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मकर संक्रांति पर महाकाल ने किया तिल के उबटन से स्नान, श्रद्धालुओं ने शिप्रा-नर्मदा में लगाई डुबकी

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उज्जैन में बाबा महाकाल को तिल से बने पकवानों का भोग लगाया गया।

उज्जैन/जबलपुर/नर्मदापुरम। मकर संक्रांति पर सोमवार को उज्जैन के बाबा महाकाल को तिल से बना उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया गया। स्नान-ध्यान के बाद भगवान का भांग, सूखे मेवे से श्रृंगार कर नए वस्त्र और आभूषण धारण कराए गए। तिली से बने पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई।

सोमवार तड़के 3 बजे पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के बाद सूर्य का धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश हुआ, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है।

इस पर्व पर श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा, नर्मदापुरम, महेश्वर ओंकारेश्वर और जबलपुर में भी नर्मदा के घाटों पर लोग स्नान-ध्यान के बाद दान पुण्य कर रहे हैं।

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नर्मदापुरम में नर्मदा में श्रद्धालुओं ने स्नान किया।

आज संक्रांति का पुण्य काल

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार संक्रांति का क्रम सायन अथवा रात्रि या अपर रात्रि में हो, तो पर्व अगले दिन मनाया जाता है, इसलिए15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल है। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि संक्रांति का पर्व दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। धनु राशि के सूर्य का मकर राशि में परिभ्रमण संक्रांति की स्थिति दर्शाती है। दक्षिण को छोड़ सूर्य उत्तर में प्रवेश करते हैं। वारियान योग की उपस्थिति में परिभ्रमण होने का लाभ राष्ट्र को प्राप्त होगा।

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उज्जैन में शिप्रा नदी में श्रद्धालुओं ने स्नान किया।

दान से मिलती है पितरों की कृपा 

मकर संक्रांति के पर्व काल पर सामान्यत: चावल, हरी मूंग की दाल की खिचड़ी का दान, पात्र का दान, वस्त्रों का दान, भोजन का दान आदि वस्तुओं का दान की परंपरा है। मान्यता है कि विशेष तौर पर तांबे के कलश में काले तिल भरकर ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है। पितरों के निमित्त तर्पण करने, गायों को घास खिलाने और भिक्षु को भोजन दान करने से मानसिक शांति और कार्य में गति बढ़ती है।

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