50 हजार के लिए मुंबई के चर्च के फादर को भोपाल में जिंदा जलाया, भाई ने पत्नी-बेटे के साथ केरोसिन छिड़क कर लगाई आग
भोपाल। मुंबई के चर्च के फादर को भोपाल में जिंदा जला दिया गया। वारदात को फादर के भाई ने पत्नी और बेटे के साथ मिलकर अंजाम दिया। दोनों के बीच 50 हजार रुपए के लेन-देन का विवाद था। आरोपी पहले बुजुर्ग को घसीटते हुए घर ले गए, पीटा फिर केरोसिन डालकर आग लगा दी। घटना 27 नवंबर की है। बुजुर्ग को गंभीर हालत में हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां गुरुवार सुबह मौत हो गई। वारदात बिलखिरिया थानाक्षेत्र के कोकता की है।
पुलिस ने गुरुवार को आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। दोपहर में तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया।
एसपी ग्रामीण प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि हरिकिशन राणा (60) पुत्र रघुदास राणा और उनके छोटे भाई मोहनदास राणा (56) उसके बेटे आजाद (24) और पत्नी लीला कोकता में आसपास में रहते हैं। मोहनदास वहां खेती-किसानी करते हैं। वहीं, हरिकिशन राणा मुंबई के एक चर्च में फादर थे।
लपटों में घिरे हुए आए बाहर
सिन्हा ने बताया कि 27 नवंबर को हमीदिया अस्पताल से घटना की सूचना मिली थी। पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंची। यहां हरिकिशन राणा बर्न वार्ड में भर्ती थे। यहां उन्होंने दिए बयानों में बताया कि छोटे भाई मोहनदास राणा को 50 हजार रुपए उधार दिए थे। वह रुपए वापस देने में आनाकानी कर रहा था। 26 नवंबर की रात तकादा करने मोहनदास के घर के घर गया था। यहां पैसों को लेकर दोनों के बीच बहस हुई। इसी बीच, मोहनदास की पत्नी लीला और भतीजा आजाद आया और घसीटकर घर के अंदर ले गए। यहां जमकर पीटा। केरोसिन छिड़ककर आग लगा दी। लपटों में घिरा हुआ बाहर आया। वहां पत्नी और बेटे ने देखा, तो आग पर काबू पाया और उन्हें हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया।
पत्नी बोली- मेरे सामने पति को घसीटकर ले गए
हरिकिशन राणा की पत्नी कमला राणा ने बताया कि दोनों भाइयों में पैसों के लेन-देन को लेकर आए दिन विवाद होता था। घटना वाले दिन भी इसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस हुई। मुझे लगा कि सामान्य लड़ाई होगी। अचानक पति चीखने लगे। मैंने बाहर निकलकर देखा। देवर भतीजा और देवरानी पति को घसीटकर घर के अंदर ले जाते दिखे। कुछ ही देर में पति बाहर निकले, तो लपटों से घिरे थे। मैं घबरा गई। इसी बीच, तीनों आरोपी भाग गए थे।
हरिकिशन राणा के बेटे सोनू राणा ने बताया कि पिता मुंबई के एक चर्च में फादर थे। अधिकांश वे मुंबई में रहते थे। वह कुछ दिन पहले ही घर आए थे। यहां पास में ही चाचा मोहनदास भी रहते हैं। चाचा की बेटी की शादी के समय पिता ने 50 हजार रुपए दिए थे।