Tuesday, December 10, 2024
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देखिए सरकार! भोपाल में 2.8 करोड़ की सड़क सात दिन में उखड़ी, 4 साल संघर्ष के बाद बनी थी

भोपाल। भोपाल नगर निगम में किस कदर भ्रष्टाचार है, इसकी नजीर देखने को मिली। करीब तीन करोड़ की लागत से बनी सड़क सात दिन में ही उखड़ गई। 1.64 किलोमीटर की ये सड़क चार साल के संघर्ष के बाद बनी थी। इससे नाराज होकर रहवासी धरने पर बैठ गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी प्रदर्शन किया है।

यह सड़क एमजीएम मार्ग खजूरी कलां से भोपाल बायपास तक बनाई गई है, जिससे अवधपुरी की 39 कॉलोनियों के 25 से 30 हजार लोग हर रोज आना-जाना करते हैं। भोपाल के मास्टर प्लान की करीब 15 साल से प्रस्तावित एमजीएम मार्ग खजूरीकलां से भोपाल बायपास रोड 1.64 किमी का है। 6 महीने पहले इसका टेंडर 2.83 करोड़ रुपए में हुआ था। अब हालत ये है कि इससे डामर उखड़ने लगा है।

रहवासियों ने किया प्रदर्शन

खराब सड़क और बिजली के खंभों को लेकर बीडीए रोड से सटी कॉलोनी के रहवासियों ने सड़क पर धरना दिया। उन्होंने अफसरों को घटिया सड़क निर्माण की असलियत दिखाई। गोविंदपुरा से कांग्रेस के प्रत्याशी रविंद्र साहू पहुंच गए। उनकी मौजूदगी में बनाई गई घटिया सड़क की परतें उखाड़ कर दिखाई गईं।

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रविवार को रहवासियों ने प्रदर्शन किया था।

घर-घर चलाया था हस्ताक्षर अभियान

सड़क बनने के बाद पटेल नगर से एंट्री के बाद इस रास्ते से एमजीएम स्कूल होते हुए एम्स, होशंगाबाद रोड और 11 मील बायपास सीधे कनेक्ट हो गया। इस सड़क के बन जाने के बाद रायसेन रोड से एम्स और आरकेएमपी पहुंचने में 25 से 30 मिनट लगते थे। अब यह दूरी 5 मिनट की रह गई है, लेकिन घटिया निर्माण से स्थानीय रहवासी नाराज हैं।

अवधपुरी परिक्षेत्र जन कल्याण महासमिति रमन तिवारी ने बताया कि चार साल से घर-घर जाकर हस्ताक्षर अभियान चलाया था। सड़क के लिए सबसे बड़ी बाधा एमजीएम स्कूल थी। इनकी सहमति से 1.22 एकड़ जमीन सरकार को दान कराई। इसके बाद रोड बन सकी।

बीच सड़क पर 125 जानलेवा खंभे

नगर निगम के सिविल और इलेक्ट्रिक विभाग की खींचतान के कारण कॉन्ट्रैक्टर ने बिजली के 125 पोल हटाए बिना ही रोड बना दी। हाल में बाइक सवार खंभों से टकराकर गिर चुके हैं। एक कार भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है।

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सड़क के आसपास करीब 125 से ज्यादा खंभे हैं।

बिना सेंट्रल वर्ज हो गया टेंडर

बताया जाता है कि नगर निगम के सिविल विभाग ने सिर्फ रोड बनाने टेंडर निकाला था। उसमें सेंट्रल वर्ज (सड़क के बीचों बीच बनने वाले डिवाइडर को सेंट्रल वर्ज कहते हैं) नहीं था। इधर, इलेक्ट्रिकल विभाग ने एमपीईबी से सेंट्रल वर्ज के प्रावधान के आधार पर NOC मांगी। बिजली कंपनी ने एनओसी जारी कर दी। प्रभारी चीफ इंजीनियर (सिविल) आरके सक्सेना का कहना है कि जो भी गड़बड़ी है, उसे जल्द ही ठीक कर देंगे।

50 साल से एक ही परिवार का राज 

कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र साहू ने कहा कि गोविंदपुरा क्षेत्र में सड़कें खराब हैं। निर्माण की गुणवत्ता का नमूना जनता ने खुद दिखाया है। गोविंदपुरा में 50 साल से एक ही पार्टी, एक ही परिवार का राज है। एक तरफ भाजपा परिवारवाद की बात करती है। दूसरी तरफ, गोविंदपुरा विधानसभा में एक ही परिवारवाद गढ़ बना कर रखी है। भाजपा सरकार 50 फीसदी कमीशन लेकर भ्रष्टाचार फैलाए है।

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