लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया, कैसे बनें आदर्श विधायक; कहा- सही चीज का सहयोग करें, नहीं तो चर्चा करें
भोपाल। भोपाल में नवनिर्वाचित विधायकों के लिए विधानसभा के मानसरोवर सभागार में दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम मंगलवार से शुरू हुआ। पहली बार यह प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया जा है।
नव निर्वाचित विधायकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संबोधित किया। उन्होंने आदर्श विधायक बनने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि ‘कानून सही है, तो प्रतिपक्ष को सहयोग करना चाहिए। अगर सही नहीं है, तो चर्चा करनी चाहिए। कानून बनाते समय तर्कों से चर्चा करें, तो कानून बेहतर बनेगा।
उन्होंने कहा, विधानसभा में सत्रों की संख्या नहीं घटना चाहिए। पहली बार के विधायकों को ज्यादा बोलने का मौका सदन में मिलना चाहिए। श्रेष्ठ विधायक वही बन सकता है, जो पूरे समय सदन में रहे। अगर आपको सिर्फ विधायक बनना है, तो आकर चले जाएं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, लोकतांत्रिक संस्थाओं में परिदृश्य परिवर्तन होता रहता है, इसलिए हमारा प्रयास रहना चाहिए कि जितना अनुभव जनता से प्राप्त करें, उसका लाभ विधानसभा के माध्यम से जनता को मिले।
लोकतंत्र हमारे विचारों में
बिरला ने कहा- लोकतंत्र हमारे विचारों में है। ये आजादी से पहले का है। इसी के माध्यम से समाज मे सामाजिक परिवर्तन किया। लोकतंत्र हमारे विचारों और कार्यप्रणाली में हैं। आजादी के आंदोलन में जन आंदोलन के माध्यम से आजादी प्राप्त की। कई देश ऐसे हैं, जिन्होंने संघर्ष नहीं किया, बलिदान नहीं दिया। वे देश भी आजाद हुए। लेकिन, हमारे आजादी के आंदोलन ने दुनिया को प्रेरणा दी, इसीलिए हम कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
प्रक्रियाओं से चलना लोकतंत्र की ताकत
दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं, जिसकी आबादी हमसे आधी हो। जनता जिसको जनादेश देती है, तो सहर्ष रूप से हमारे यहां सत्ता का हस्तांतरण होता है। पंचायत से लेकर संसद तक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से चलना हमारे लोकतंत्र की ताकत है। 2001 में जब देश के सभी राजनीतिक दल के नेता बैठे और ये चिंता व्यक्त की थी कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा गिर रही है। सदन में अच्छी चर्चा बहस होगी तो अच्छा परिणाम आएगा।
प्रश्न बड़ा नहीं होना चाहिए
प्रश्नकाल में विधायक तैयारी से सवाल पूछेंगे तो मंत्री को भी तैयारी से आना पड़ेगा। सवाल ज्यादा लम्बा ना पूछें। ‘मेरा मानना है कि कानून सही है तो प्रतिपक्ष को सहयोग करना चाहिए। अगर सही नहीं है, तो चर्चा करनी चाहिए। कानून बनाते समय तर्कों से चर्चा करें तो कानून बेहतर बनेगा।
अनुशासित और नियम में बांधना जरूरी: तोमर
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारे प्रशिक्षक उपयुक्त हों, इसके लिए लोकसभा का सहयोग जरूरी था। लोकसभा सचिवालय ने सम्पूर्ण सहयोग दिया है। वहां के विशेषज्ञ अलग-अलग विषयों पर ट्रेनिंग देंगे। अच्छा जनप्रतिनिधि बनने के साथ ही अच्छा विधायक बनना जरूरी है। जनता की अपेक्षा कैसे पूरी हो, इसके लिए कृतित्व को अनुशासित और नियम में बांधना की जरूरी है।
पुरुस्कारों की परंपरा टूट गई
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा- पहले विधानसभा में सदस्य प्रोत्साहित हों इसके लिए सदन में पुरुस्कारों की परंपरा थी, लेकिन बीच मे अपरिहार्य कारणों से वो टूटी रही। विधायकों में ये प्रचलन हो गया है कि चिल्लाकर कर बोलें तो ज्यादा लोग सुनेंगे। लेकिन सदन में सदस्यों को गंभीरता पूर्वक चिल्लाकर बोलने के बजाय शालीन तरीके से बात रखें। यदि विषय नाराजगी का है, तो गुस्से के भाव होने चाहिए, लेकिन सदस्य को गुस्सा नहीं आना चाहिए।
दो दिन चलेगा प्रशिक्षण
विधानसभा में दो दिन के छह सत्रों में अलग-अलग विषयों पर चर्चा होगी। पहले दिन मंगलवार को सुबह उद्घाटन सत्र होगा, जिसमें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, मप्र विस अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, उप्र विस अध्यक्ष सतीश महाना, सीएम डॉ. मोहन यादव और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार विचार रखेंगे। इससे पहले लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह का संबोधन होगा।
10 जनवरी 2024 को प्रातः 11 बजे से चतुर्थ सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसका विषय ‘संसदीय प्रणाली में समितियों की भूमिका’ रहेगा। पंचम सत्र ‘बजट, आय व्ययक, अनुदान की मांगों पर चर्चा, कटौती प्रस्ताव’ पर केंद्रित रहेगा।