Sunday, June 8, 2025
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टीचर बनने के लिए छोड़ा सरपंच पद, बोलीं- सपने से बड़ी नहीं कुर्सी

मंदसौर। आपने देखा होगा कि कई लोग नौकरी छोड़कर राजनीति में उतर आते हैं, लेकिन राजनीति छोड़कर नौकरी जॉइन करने के मामले कम ही आते हैं। ऐसा हुआ है बड़वानी है। यहां अंजड़ के ग्राम बिल्वारोड की महिला सरपंच ने शुक्रवार को पद छोड़ दिया। पूर्व सरपंच मंजू राठौर (33) अब शिक्षक बनने जा रही हैं।

मंजू राठौर ने कहा कि मैंने बच्चों के भविष्य के लिए यह त्याग किया है। मेरा सपना टीचर बनने का रहा है। हालांकि 8 महीने पहले हुए चुनाव में परिवार के कहने पर चुनाव लड़ा, जिसमें जीत भी हासिल हुई। अब मेरा सिलेक्शन टीचर के लिए हो गया है, इसलिए सपने को जीने के लिए सरपंच की कुर्सी छोड़ दी है। कुर्सी सपनों से बड़ी नहीं होती।

चुनाव में 256 वोट से जीती थीं

ग्राम बिल्वारोड में रहने वाली मंजू राठौर पति कान्हा राठौर 13 जुलाई 2022 को सरपंच पद पर नियुक्त हुई थीं। बिल्वारोड ग्राम पंचायत में 1100 मतदाता हैं। 1 जुलाई को हुए चुनाव में करीब एक हजार मतदाताओं ने वोट डाले थे। 15 जुलाई को आए रिजल्ट में मंजू ने 256 मतों से जीत हासिल की थी। इस बीच, मंजू का सिलेक्शन 25 किमी दूर ग्राम दानोद के प्रायमरी स्कूल में शिक्षक के रूप में हो गया। मंजू ने बताया कि अभी वर्ग 3 में चयन हुआ है, जबकि मैंने वर्ग 2 के लिए भी अप्लाई किया है। मंजू की शादी अप्रैल 2018 को को हुई थी। उन्होंने शादी के बाद एमए, बीएड किया। वह MSW (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) की पढ़ाई भी कर चुकी हैं।

पति ने कहा- टीचर बनने का था सपना

मंजू के पति कान्हा राठौर ने कहा- जरूरी नहीं कि राजनीतिक क्षेत्र में ही रहकर सेवा की जाए। पत्नी मंजू का सपना टीचर बनने का था। वह आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को अच्छे संस्कार और शिक्षा देकर उनका भविष्य बनाना चाहती है। जो भी आगामी समय में गांव का सरपंच बने, वो नि:स्वार्थ भाव से काम करे। गांव को उन्नति पर ले जाए। जब संविदा वर्ग तीन में उनका चयन हुआ, तो उन्होंने सोचा कि सरपंच बनकर वह सिर्फ एक गांव का विकास कर सकती है, लेकिन टीचर बनने के बाद कई बच्चों का भविष्य बना सकती है। उन्हें अच्छा इंसान बना सकती है, जिससे वो एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें। इसलिए सरपंच का पद छोड़ शिक्षक बनने का फैसला लिया।

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