करवा चौथ आज, 100 साल बाद चतुर्महायोग में मनेगा सुहाग पर्व
भोपाल। आज यानी बुधवार को करवाचौथ है। सुहागनों ने सुबह से व्रत रखा है। शाम को चंद्रमा की पूजा के बाद व्रत खत्म हो जाएगा। बुधवार का दिन इस सुहाग पर्व को और भी खास बना देता है। सुहागनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक आज के ग्रह-नक्षत्र सर्वार्थसिद्धि, सुमुख, अमृत और कुलदीपक योग बना रहे हैं। करवा चौथ पर ऐसा चतुर्महायोग 100 साल बाद बन रहा है।
आज बुधवार और चतुर्थी का संयोग भी बन रहा है। इस तिथि और वार, दोनों के देवता गणेश जी ही हैं। इन शुभ संयोग और ग्रह स्थिति से व्रत का पुण्य और बढ़ जाएगा।
पंडितों के मुताबिक वैसे तो शाम 7 से रात तकरीबन 9 बजे तक देशभर में चंद्रमा दिख जाएगा। फिर भी मौसम खराब होने के चलते अगर चंद्रमा न भी दिखे, तो शहर के मुताबिक चंद्र दर्शन के दिए समय पर पूर्व-उत्तर दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोल सकते हैं।
वामन पुराण में करवा चौथ की कहानी
वामन पुराण में कथा आती है। इसके मुताबिक वीरावती अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का उपवास रखकर चंद्रमा निकलने का इंतजार करती है। भूख-प्यास से परेशान बहन को बेहोश होते देख उसका भाई मशाल लेकर बरगद पर चढ़ जाता है। पत्तों के बीच उजाला करता है। जिसे वीरावती चंद्रमा की रोशनी समझकर व्रत खोल लेती है। इसके बाद वीरावती के पति की मृत्यु हो जाती है। अब देवी पार्वती वीरावती को फिर से ये व्रत करने को कहती हैं। दोबारा व्रत करने से वीरावती को सौभाग्य मिलता है। उसका पति फिर जिंदा हो जाता है।
पति के लिए व्रत की परंपरा सतयुग से
माना जाता है कि पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए, तो सावित्री ने पति को ले जाने से रोक दिया। दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे।
दूसरी कहानी पांडवों की पत्नी द्रौपदी से जुड़ी है। वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया। कुछ समय के बाद अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।
ये भी है मान्यता- अच्छी फसल की कामना के लिए
ये त्योहार रबी की फसल की शुरुआत में होता है। इस वक्त गेहूं की बुवाई भी होती है। गेहूं के बीज को मिट्टी के बड़े बर्तन में रखते हैं, जिसे करवा भी कहते हैं। जानकारों का मत है कि ये पूजा अच्छी फसल की कामना के लिए शुरू हुई। बाद में महिलाएं सुहाग के लिए व्रत रखने लगीं।
कहा ये भी जाता है कि पहले सैन्य अभियान खूब होते थे। सैनिक ज्यादातर समय घर से बाहर रहते थे। ऐसे में पत्नियां अपने पति की सुरक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखने लगीं।