MP में कार्तिक पूर्णिमा स्नान, बारिश और ठंड के बीच बांद्राभान में डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने किया स्नान; जबलपुर, ओंकारेश्वर, मंडला में भी किया आचमन
भोपाल। मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी समेत पवित्र नदियों के घाटों पर श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा स्नान किया। यहां श्रद्धालुओं ने आचमन किया। नर्मदापुरम में नर्मदा और तवा नदी के संगम स्थल बांद्राभान पर सोमवार को बांद्राभान मेला आयोजित किया गया। बारिश और ठंड के बीच शाम तक यहां डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके अलावा, जबलपुर के ग्वारीघाट, बरमान, नरसिंहपुर, मंडला और ओंकारेश्वर, उज्जैन के शिप्रा और मुलताई के ताप्ती सरोवन में भी श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे।
कार्तिक मास की पूर्णिमा सालभर में आने वाली 12 पूर्णिमाओं में विशेष महत्व रखती है। कारण- यह पूर्णिमा भगवान महा विष्णु के प्रबोधन के पांचवें दिन आती है।
सूर्योदय से पहले स्नान का विशेष महत्व
पंडितों के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले संगम पर स्नान का विशेष महत्व है। हालांकि, बांद्राभान में इस बार सुबह 4 बजे से बारिश के कारण स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सूर्योदय से पहले कम रही। सुबह 8 बजे तक कोहरा और धुंध छाई रही। सुबह 9 बजे के बाद श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ना शुरू हुई। सुबह 7 बजे बारिश बंद हुई, लेकिन 10.30 बजे से फिर शुरू हो गई। यहां चार दिवसीय मेला उत्सव चल रहा है। यह 25 नवंबर को शुरू हुआ था, 28 नवंबर तक रहेगा। मुख्य स्नान के लिए संगम तट पर श्रद्धालुओं ने रविवार रात से ही डेरा डाल रखा था।
नरसिंहपुर : हजारों श्रद्धालुओं ने किया आचमन, स्नान
सोमवार को नर्मदा तटों पर हजारों श्रद्धालु पहुंचे। बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं ने स्नान कर नर्मदा जल का आचमन किया। जिले के प्रमुख तीर्थ क्षेत्र बरमान में नरसिंहपुर, सागर, छिंदवाड़ा, दमोह, रायसेन आदि जिलों से श्रद्धालु वाहनों से पहुंचे। कई श्रद्धालु पैदल भजन संकीर्तन करते हुए पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ से मोबाइल नेटवर्क ठप हो गया है। यातायात व्यवस्था भी चरमरा गई है। बरमान के मुख्य मार्ग सहित रेस्टहाउस मार्ग पर जाम की स्थिति बनी हुई है।
कार्तिक महीना का महत्व
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि कार्तिक मास संपूर्ण रूप से दान धर्म, यम, नियम, संयम का माना जाता है। इस दौरान यम के निमित्त दीपदान, पितरों के निमित्त तर्पण, भगवान विष्णु की पूजन तथा भगवान शिव के अभिषेक की भी मान्यता धर्मशास्त्र और पुराण में बताई जाती है। कार्तिक मास में पितरों के निमित्त तर्पण और सुख पिंडी या त्रिपिंडी श्राद्ध की परंपरा है। यह वह पिंड होता है, जो सुख की प्राप्ति के लिए पितरों को दिया जाता है। साथ ही, वैदिक ब्राह्मण को यथा श्रद्धा यथा भक्ति अन्नदान पात्रदान, वस्त्रदान करना चाहिए सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया दान विशेष पुण्य तथा धन धान्य की प्राप्ति करवाता है।