सिंधिया का राहुल पर निशाना, बोले- कांग्रेस में नहीं बची विचारधारा
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में विचारधारा नहीं बची है। राहुल गांधी और कांग्रेस ने व्यक्तिगत लड़ाई को लोकतंत्र की लड़ाई बना दिया। इसकी जितनी भी आलोचना की जाए कम है।
सिंधिया ने कहा कि देश में माहौल बनाया जा रहा है। ट्रेनें रोकी गईं, आमजन को परेशानी हुई, क्या ये गांधीवाद का सिद्धांत है? व्यक्ति विशेष के लिए ऐसा क्यों हो रहा है? कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी को विशेष सत्कार दिया जा रहा है। जमानत के लिए नेताओं की फौज ले गए। यह अदालत के ऊपर दबाव का प्रयास है।
‘राहुल गांधी के मुद्दे पर संसद को बाधित करना शर्मनाक’
सिंधिया ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब किसी को संसदीय सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है। अयोग्यता को लेकर जो हो-हल्ला मचाया जा रहा है, वह शर्मनाक है। वे लोकतंत्र के मंदिर संसद को बाधित कर रहे हैं।
फर्स्ट क्लास सिटीजन’ हैं कांग्रेस के लिए कुछ लोग- सिंधिया
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ लोग ‘फर्स्ट क्लास सिटीजन’ हैं और हम-आप ‘थर्ड क्लास सिटीजन’ हैं। जिस कांग्रेस पार्टी ने पिछड़े वर्ग को कलंकित और अपमानित किया है, सैनिकों की पिटाई हुई जैसा वक्तव्य दिया है। ऐसी कांग्रेस पार्टी की विचारधारा नहीं बची है। इनकी केवल एक विचारधारा है और वो है, देशद्रोही की विचारधारा और देश के विरूद्ध काम करने की विचारधारा।
सिंधिया के बयान पर खड़गे का पलटवार
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसी के ऊपर दबाव नहीं डालती। सरकार दबाव डाल रही है, लेकिन एक उदाहरण है कि एक व्यक्ति जिसे तीन साल सजा होती है। बावजूद उसकी सदस्यता रद्द नहीं की जाती। एक राहुल गांधी हैं, जिन्होंने सच कहा उनकी सदस्यता रद्द की जाती है।
राहुल गांधी पर कार्रवाई से सदन पर उठ रहे सवाल- अधीर रंजन
इसके अलावा, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस पार्टी पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मैंने स्पीकर से कहा है कि सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि मुझे लगता है कि राहुल गांधी पर जिस तरह त्वरित गति से कार्रवाई की गई है, उससे हिंदुस्तान में सदन की कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं। इससे निपटने के लिए खुली चर्चा होनी चाहिए।