इस मंदिर में सरस्वती मां को चढ़ाते हैं स्याही, उज्जैन में बसंत पंचमी पर स्टूडेंट्स मांगते हैं मन्नत

उज्जैन। बसंत पंचमी पर बुधवार को ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन-अर्चन और अनुष्ठान किए जाएंगे। इस मौके पर ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां बसंत पंचमी पर वाग्देवी को स्याही चढ़ाई जाती है। स्टूडेंट्स यहां अपने उज्जवल भविष्य के लिए मन्नत मांगते हैं।
यह मंदिर उज्जैन में चौरसिया समाज की धर्मशाला के पास बिजासन माता मंदिर के सामने छोटी सी गली में स्थित है। इन्हें नीलवर्णी देवी के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार गुप्त नवरात्र और ऋतु काल के परिवर्तन का चक्र विद्यमान होता है। बसंत पंचमी के दिन शुभ योग रहेगा।
300 साल पुराना है मंदिर
पंडित अनिल मोदी ने बताया कि मंदिर 300 साल पुराना मुगल कालीन है। विद्यार्थी यहां उज्जवल भविष्य के लिए स्याही और कलम चढ़ाते हैं। कई बच्चे पेन और कॉपी का पूजन भी करते हैं। परीक्षा के दिनों में यहां स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में आते हैं। स्याही-कलम के साथ विद्यार्थी पीले फूल भी चढ़ाते हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी पर यहां स्याही और पेन चढ़ाने से बच्चों का भविष्य उज्जवल होता है।
मंदिर के पुजारी अजय त्रिवेदी बताते हैं कि यह परंपरा कैसे शुरू हुई, यह तो ठीक से नहीं पता। पिछले 50 साल से इस परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है। परीक्षा में पास होने के बाद भी बच्चे स्याही चढ़ाने आते हैं। खास बात है कि इस दिन के लिए दुकानदार स्याही भी मंगवा कर रखते हैं।

सरस्वती मां को देवी भागवत में बताया नीलवर्णी
मंदिर के पुजारी के मुताबिक शास्त्रों में मां सरस्वती को नीलवर्णी कहा गया है। भगवान विष्णु से आदेशित होकर नील सरस्वती भगवान ब्रह्म के साथ सृष्टि के ज्ञान कल्प को बढ़ाने का दायित्व संभाले हैं। इसका उल्लेख श्रीमद् देवी भागवत में भी मिलता है।
नील सरस्वती के पूजन में नील कमल व अर्क के नीले फूलों का उपयोग इसी कारण होता है। इन फूलों के अर्क से देवी का अभिषेक किया जाता है। समय के साथ इसमें परिवर्तन आया और फूलों के अर्क का स्थान नीली स्याही ने ले लिया।
इस बार बसंत पंचमी पर खास योग
पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि बसंत पंचमी पर 27 योगों के अंतर्गत आने वाला शुभ योग श्री गणेश की विशेष कृपा प्राप्त वाला योग की श्रेणी में माना जाता है। इस दिन अवरोधों से निवृत्ति के लिए दिव्य अनुष्ठान किए जा सकते है। जिन कन्याओं के विवाह में बाधा आ रही हो, वे कन्याएं विशेष अनुष्ठान कर सकती हैं।
अनुष्ठान के अंतर्गत दिव्य सरस्वती स्तोत्र पाठ के साथ महाकाली, महालक्ष्मी, मां सरस्वती की पीठ पूजन और पंचांग पूजन का हवन किए जा सकते हैं।