नर्सिंग स्टूडेंट्स को हाईकोर्ट की सशर्त अनुमति, कहा- डिफिशियंट और अपात्र कॉलेज स्टूडेंट्स भी दे सकेंगे परीक्षा
जबलपुर। मध्यप्रदेश में नर्सिंग स्टूडेंट्स को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच में अपात्र और तय मापदंड पर खरे नहीं उतरे कॉलेजों के स्टूडेंट्स को परीक्षा देने की सशर्त अनुमति दी है। आदेश सत्र 2021-22 के छात्रों के लिए है। कोर्ट ने कहा है कि छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मौका दिया गया है। बशर्ते परीक्षा में पास होना अनिवार्य है। अगर फेल हो गए, तो अपात्र कॉलेजों की तरह उन्हें भी अपात्र घोषित कर दिया जाएगा।
इस फैसले से प्रदेश के करीब 45 हजार नर्सिंग स्टूडेंट्स परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। इसके पहले, हाइकोर्ट के निर्देश पर पात्र नर्सिंग कॉलेजों में परीक्षा के टाइम टेबल जारी किए गए थे। जिसके बाद अपात्र और नर्सिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स ने भी परीक्षा में राहत देने की मांग की थी।
लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इस पर सोमवार को जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष युगल पीठ ने सुनवाई की।
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि जिन छात्रों ने अध्ययन किया है या उन्होंने प्रशिक्षण लिया है। अगर वो परीक्षा में पास होते हैं, तो ही उन्हें आगे के लाभ मिलेंगे अन्यथा छात्र अपात्र हो जाएंगे।
सत्र 2023-24 का निर्णय सरकार लेगी
हाईकोर्ट ने कहा है कि चूंकि मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर द्वारा सत्र 2023-24 को शून्य घोषित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जो लंबित है। अत: हाईकोर्ट ने सत्र 2023-24 की प्रवेश व मान्यता प्रक्रिया के संबंध में निर्णय के लिए गेंद सरकार के पाले में डाली है।
सीबीआई ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर मध्यप्रदेश शासन से जांच के लिए स्टाफ अटैचमेंट के स्थान पर प्रतिनियुक्ति की अनुमति मांगी थी। हाईकोर्ट ने इस आवेदन को खारिज कर दिया।
क्या था मध्य प्रदेश नर्सिंग कॉलेज घोटाला
मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाला साल 2020 में सामने आया था। पता चला था कि स्टेट नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी हुई थी, जो या तो केवल कागजों पर चल रहे थे या किराए के कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से एफिलिएटेड नहीं थे। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने राज्य के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच CBI को सौंप दी।