MP में हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराईं- भोपाल के हमीदिया में 32 ऑपरेशन टाले; इंदौर-जबलपुर और ग्वालियर में आयुष डॉक्टर तैनात
भोपाल। मध्यप्रदेश के 15 हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर बुधवार से हड़ताल पर हैं। हड़ताल के कारण भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। मरीजों की परेशान होना पड़ रहा है। लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
हालांकि सरकार ने भी हड़ताल से निपटने के लिए तैयारी कर रखी है। प्राइवेट अस्पतालों से जानकारी मांगी गई है। गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में 32 मरीजों के रूटीन ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। इंदौर-जबलपुर और ग्वालियर में आयुष डॉक्टरों के साथ निजी हॉस्पिटल के डॉक्टरों को भी ड्यूटी पर लगा दिया है। जानते हैं प्रदेश में कहां क्या व्यवस्था है…
- इंदौर: इंदौर में कलेक्टर इलैया राजा टी PC सेठी हास्पिटल पहुंचे। आयुष डॉक्टरों को तैनात किया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों में ADM, SDM व अन्य अफसर भेजे गए हैं। प्रशासन का दावा है कि मरीज को बगैर इलाज वापस नहीं जाने दिया गया है। एम्बुलेंस भी तैनात है। कलेक्टर ने पांच अपर कलेक्टरों को शहर के 6 बड़े अस्पतालों में तैनात किया है। इसमें अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर को पीसी सेठी और बाणगंगा अस्पताल, अजय देव शर्मा को एमवाय, वंदना शर्मा को मांगीलाल चुरिया अस्पताल, सपना लोवंशी को हुकुमचंद अस्पताल और राधेश्याम मंडलोई को जिला अस्पताल का जिम्मा सौंपा है।
- भोपाल: हमीदिया अस्पताल में 150 निजी डॉक्टर की सेवाएं ली जा रही हैं। इसके अतिरिक्त चिरायु, आरकेडीएफ, जेके अस्पताल आदि में अतिरिक्त 1500 बेड की व्यवस्था की गई है। आपात स्थिति में मरीजों को आवश्यकता होने पर उन्हें निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया जा सके। हमीदिया से अब तक 9 गंभीर मरीजों को शिफ्ट किया जा चुका है। कुल 40 मरीज शिफ्ट किए जा रहे हैं।
- जबलपुर : नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के करीब 450 डॉक्टरों समेत जिला अस्पताल, लेडी एल्गिन और स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ 180 डॉक्टर भी हड़ताल पर हैं। जिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी में जरूर इलाज नहीं करेंगे, लेकिन अगर कोई गंभीर मरीज आता है, जिसकी हमारे इलाज न करने से मौत हो सकती है, तो उसका इलाज करेंगे। सिविल सर्जन डॉ. मनीष मिश्रा ने वैकल्पिक व्यवस्था का दावा किया है। इमरजेंसी, ट्रॉमा और ICU में एनएचएम, रिटायर्ड और आयुष डॉक्टरों को तैनात किया है। कमिश्नर अभय वर्मा ने डॉक्टरों के अवकाश कैंसिल कर दिए हैं। जबलपुर मेडिकल कालेज में 42 और जिला अस्पताल में 8 ऑपरेशन होने थे, जिन्हे आज टाल दिया गया।
- ग्वालियर: गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अक्षय निगम ने बताया कि हड़ताल में जयारोग्य चिकित्सालय ग्रुप में कार्यरत 350 डॉक्टर शामिल हुए। इमरजेंसी और ट्रामा यूनिट में 30 आयुष डॉक्टर्स तैनात किए हैं। अस्पताल में भर्ती भिंड गोहद निवासी हरदीप सिंह की आंखों का ऑपरेशन होना था, लेकिन दो बार डेट मिलने के बाद भी ऑपरेशन नहीं हो सका। पहले 18 अप्रैल और 2 मई को डेट मिली थी। अब डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हो जाने के कारण वह अस्पताल से खुद ही डिस्चार्ज होकर जा रहे हैं।
- नर्मदापुरम: हड़ताल को देखते हुए कलेक्टर समेत आला अधिकारी अस्पताल पहुंचकर व्यवस्थाएं देखीं। अपर कलेक्टर एक घंटे से अस्पताल में मौजूद रहे। संविदा डॉक्टर्स और मेडिकल स्टूडेंट्स को बुलाया। सिविल सर्जन और CMHO स्वयं देखेंगे मरीज।
- खंडवा: मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में ऑपरेशन नहीं होंगे। सिर्फ महिलाओं की सीजेरियन, नॉर्मल डिलेवरी और मेडिसिन विभाग में प्राइवेट डॉक्टर, जिला अस्पताल के बंधपत्र और मेडिकल कॉलेज के सीनियर एवं जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर्स मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध रहेंगे। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में जरूर डॉक्टर्स न होने से समस्या आएगी। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अनंत पंवार के अनुसार, डॉक्टर्स के काम बंद हड़ताल के कारण कॉलेज के एसआर और जेआर भी ड्यूटी करेंगे।
- छिंदवाड़ा: कलेक्टर शीतला पटले ने बताया कि ओपीडी सहित अन्य इमरजेंसी सेवाओं के लिए एनआरएचएम, सीनियर डॉक्टर्स समेत आयुष के डॉक्टर्स द्वारा ओपीडी, गायनिक, सर्जिकल और एसएनसीयू वार्ड में इमरजेंसी के लिए रोटेशन के तौर पर 63 डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं। मंगलवार रात हादसे का शिकार हुए घायलों को अब तक इलाज नहीं मिल रहा है। डोरिया खेड़ा निवासी सुरेश भलावी का आरोप है कि उनके भाई आकाश भलावी को कल रात 3 बजे से अस्पताल में एडमिट किया गया है, लेकिन अभी तक उपचार नहीं मिला है।
प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बोले- परिस्थितियां नहीं बदलीं
प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा- हड़ताल का पहला दिन है। 17 फरवरी को हमने मंत्री, मुख्यमंत्री के आश्वासन पर हड़ताल स्थगित की थी, लेकिन उस दिन से परिस्थिति में बदलाव नहीं आया। ऐसा लग रहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने हमारे विभाग को, डॉक्टरों को बंधक बना रखा है। ऐसा लग रहा है कि हमारे मंत्री, मुख्यमंत्री की मंशाओं के बावजूद वो निर्णय नहीं ले पा रहे।
हमारी जायज मांग से वित्तीय भार भी नहीं आ रहा है। उस दूर सुदूर गांव में बैठे मेडिकल ऑफिसर, बॉन्डेड, संविदा डॉक्टरों की ये मांग है। जो लगातार इमरजेंसी ड्यूटी करते हैं। जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, वहां डॉक्टर ड्यूटी करते हैं। अनुरोध है कि मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करके अधिकारियों के शिकंजे से बाहर आकर जनता और डॉक्टरों के हित में निर्णय लें।