MP में ग्वालियर डेंगू का हॉट स्पॉट, सबसे ज्यादा 1047 पेशेंट मिले, भोपाल में चार साल का रिकॉर्ड टूटा, 785 पॉजिटिव
भोपाल। मध्यप्रदेश में डेंगू कहर बरपा रहा है। ग्वालियर इन दिनों डेंगू का हॉट स्पॉट बना हुआ है। यहां सबसे ज्यादा 1047 मरीज मिले हैं। वहीं, भोपाल में पिछले चार सार का रिकॉर्ड टूटा है। यहां 22 नवंबर तक 785 मामले सामने आ चुके हैं। जो साल 2022 की तुलना में 110 ज्यादा हैं। इंदौर और जबलपुर में भी डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। एक बार ठीक होने के कुछ दिन बाद पीड़ितों को फिर से बुखार आ रहा है।
दरअसल, बारिश के दिनों में मच्छरों की ब्रीडिंग होती है। डेंगू का वायरस कभी एक्टिव रहता है, तो कभी नॉन एक्टिव। इससे डेंगू को लेकर स्थिति बदलती रहती है। इस बार वायरस ज्यादा एक्टिव हो गया। बैक्टर्स ज्यादा बढ़ गए, जिससे मरीजों की संख्या भी बढ़ी है।
अब तक 29,437 घरों में मिला डेंगू का लार्वा
भोपाल में पिछले 3 महीने से जिला मलेरिया दफ्तर के वर्कर और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लार्वा व फीवर सर्वे कर रहे हैं। इस साल 11,491 टेस्ट किए गए हैं। 3,97,594 घरों का सर्वे किया गया। 29,437 घरों में डेंगू का लार्वा मिला है। सितंबर में डेंगू के 170 नए मरीज मिले थे। अक्टूबर में 272 से अधिक डेंगू पॉजिटिव मरीज मिले। नवंबर में अब तक कुल 185 से अधिक मरीज मिल चुके हैं।
चार साल बाद अक्टूबर में सबसे ज्यादा मरीज
भोपाल जिला मलेरिया कार्यालय के अनुसार इस साल अक्टूबर में 272 से अधिक डेंगू पॉजिटिव मिले। ये अक्टूबर महीने में 2019 के बाद मिले मरीजों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। जिला मलेरिया कार्यालय से संबद्ध कर्मचारियों की छुटि्टयां निरस्त हैं, ताकि हॉट स्पॉट में फीवर सर्वे, लार्वा सर्वे और फॉगिंग बढ़ाकर संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके।
20 हजार से नीचे प्लेटलेट्स जाने पर रहता है ज्यादा खतरा
डॉक्टरों के अनुसार तेज बुखार, सिर दर्द, चेहरे या शरीर पर लाली आना, हड्डी तोड़ बुखार हो तो हल्के में न लें। ऐसे व्यक्ति को डेंगू की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाने के बाद डेंगू प्रोफाइल IGM और IGG की जांच करवानी चाहिए। दिन में कम से कम एक बार सीबीसी की जांच होनी चाहिए, ताकि ब्लड में प्लेटलेट्स की काउंटिंग पर नजर रख सकें। अगर किसी व्यक्ति के 20 हजार से नीचे प्लेटलेट्स जाती है, तो वह सीरियस कंडीशन में पहुंच जाता है।
बड़े शहरों की स्थिति जानिए
ग्वालियर : अब तक 1047 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं। गुरुवार को 71 नए मरीज सामने आए हैं। इनमें 26 ग्वालियर, 18 भिंड, मुरैना, श्योपुर आदि जिलों के हैं।
इंदौर : इस साल 430 मरीज मिल चुके हैं। ये पिछले साल के मुकाबले दोगुना हैं। सितंबर में 136 और अक्टूबर में सबसे ज्यादा 159 मरीज मिले। नवंबर में 22 दिनों में 48 पॉजिटिव मिले हैं।
जबलपुर : इस साल नवंबर तक 170 डेंगू पॉजिटिव मिल चुके हैं। सितंबर में दो युवकों की मौत हो चुकी है। दोनों अस्पताल में भर्ती थे।
बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं
ये हैं लक्षण
- डेंगू एडीज मच्छरों के काटने से होता है। इसमें तेज बुखार के साथ शरीर पर लाल-लाल चकत्ते दिखाई देते हैं।
- इसमें 104 डिग्री तेज बुखार आता है। सिर में तेज दर्द होता है।
- शरीर के साथ जोड़ों में भी दर्द होता है। खाना पचाने में दिक्कत होती है।
- उल्टी होना, भूख कम लगना व ब्लड प्रेशर कम हो जाना इसके कुछ अन्य लक्षण हैं।
- चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना और बॉडी में प्लेटलेट्स की कमी हो जाना खास लक्षण हैं।
- लिवर और सीने में फ्लूइड जमा हो जाता है।
डेंगू हुआ है या नहीं
अगर ऊपर दिए गए लक्षणों में से कोई लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। डेंगू की जांच के लिए एनएस 1 टेस्ट किया जाता है, जिसके आधार पर डॉक्टर तय करते हैं कि मरीज को डेंगू है या नहीं।
जरूरी जानकारी
- डेंगू का मच्छर आमतौर पर दिन में काटता है।
- गर्मी और बारिश के मौसम में यह बीमारी तेजी से पनपती है। डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। जैसे छत पर लगी पानी की टंकी, घड़ों और बाल्टियों में जमा पीने का पानी, कूलर का पानी, गमलों में भरा पानी।
शरीर में न होने दें पानी की कमी
- डेंगू से पीड़ित मरीज एलोपैथी ट्रीटमेंट लेने के बाद आयुर्वेद उपचार या घरेलू नुस्खे से भी जल्द रिकवर कर सकते हैं। शरीर में पानी की कमी न होने दें। दिनभर में कम से कम 3-4 लीटर पानी जरूर पीएं। फलों का रस लंबे समय तक लें।
- डेंगू की रिकवरी में आंवला, कीवी, संतरा जैसे खट्टे फल खाएं। इसके अलावा अनार और पपीता भी डाइट में शामिल करें। खाने में घर का हल्का खाना जैसे खिचड़ी और मूंग-दाल खाएं।
- आंवला और गिलोय (गुडुची) का रस भी प्रतिरक्षा और प्लेटलेट्स में सुधार करने में मदद करता है। जितना हो सके नारियल पानी, सौंफ का पानी जैसे तरल पदार्थों लेकर खुद को हाइड्रेट करते रहें।
- मरीज को पपीते के पत्ते पानी में पीस कर दिए जा सकते हैं। यह शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ाने का काम करते हैं, लेकिन देने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।