राज्यपाल बोले- प्राइवेट-सरकारी डॉक्टर्स जेनरिक दवाएं लिखें, सीएम ने कहा- स्वच्छता में जितने स्टार, उतने रुपए मिलेंगे
भोपाल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा, ‘प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स मरीजों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखें। सभी सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवाओं की दुकान खोली जाएं। इससे गरीब मरीजों को फायदा मिलेगा।’
राज्यपाल मंगलवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में स्वच्छता ही सेवा अभियान का शुभारंभ कार्यक्रम बोल रहे थे। कार्यक्रम में मौजूद सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के 50 जिला अस्पतालों में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों का उद्घाटन किया। इनका संचालन रेडक्रॉस के जरिए किया जाएगा।
इसके अलावा, भोपाल को स्वच्छता सर्वेक्षण में 5 स्टार रेटिंग मिलने पर नगर निगम के 8,117 सफाई मित्रों को 5-5 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई। राज्यपाल मंगू भाई पटेल और सीएम ने सिंगल क्लिक से राशि खातों में ट्रांसफर की।
Governor said- private and government doctors should prescribe generic medicines
सीएम बोले- सफाई में जितने स्टार, उतने रुपए मिलेंगे
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कचरा मुक्त शहर के मामले में स्टार मिलने के आधार पर सफाई मित्रों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। जिस निकाय को जितने स्टार मिलेंगे, उसमें कार्यरत उतने हजार रुपए की राशि दी जाएगी यानी एक स्टार हासिल करने वाले निकाय को एक-एक हजार, दो, तीन स्टार से लेकर 5 स्तर और 7 स्टार तक प्राप्त कर सकते हैं। 7 स्टार वालों को 7 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
सीएम ने बताया- चेचक का टीका कहां से आया
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, ‘जब भारत में अंग्रेजों का शासन था। दुनिया भर में चेचक की बीमारी फैली। तब किसी को चेचक का फोड़ा हुआ, तो बबूल के कांटे से मवाद निकाल लेते थे। यही मवाद चेचक से पीड़ित दूसरे शख्स को लगाते थे। इससे बीमारी की एंटीबॉडी तैयार हो जाती थी। इसके बाद उस शख्स को चेचक नहीं होता था। चेचक के एंटीबॉडी फॉर्मूले को अंग्रेजी शासकों ने लंदन भेजा। फिर चेचक के टीके का आविष्कार हुआ।’
Governor said- private and government doctors should prescribe generic medicines
2008 में हुई थी जन औषधि केन्द्रों की शुरुआत
सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र परियोजना की शुरुआत 2008 में की गई थी। साल 2015 के बाद से योजना में और तेजी आई। वर्तमान में मध्य प्रदेश के जिलों में 500 से अधिक जन औषधि केंद्र संचालित हैं।