कभी गैंगस्टर अतीक, अब कैदी नंबर 17052, साबरमती जेल में बदली पहचान
कभी 24 घंटे हथियारबंद गुर्गों से घिरा रहने वाले गैंगस्टर अतीक अहमद की पहचान बदल गई है। गुर्गे भी ऐसे कि एक इशारे पर किसी की जान लेने और खुद की जान देने से भी नहीं चूकते। 17 साल बाद विधायक की हत्या में मुख्य गवाह रहे उमेश पाल के किडनैपिंग में अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा साथी दिनेश पासी और सौलत हनीफ को भी उम्रकैद सुनाई गई है। वारदात 2006 की है। इसमें केस 2007 में दर्ज हुआ था।
माफिया अतीक पर 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से अब तक उस पर एक सैकड़ा से ज्यादा मामले दर्ज हुए। खास है कि ये पहली बार है, जब अतीक किसी मुकदमे में दोषी ठहराया गया है।
विधायक का शरीर छलनी कर दिया था
घटना 2006 की है। इसे लेकर केस 2007 में दर्ज हुआ। कहानी 2005 से शुरू होती है। 25 जनवरी 2005 का दिन इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल पर हमला हुआ। कुछ बदमाशों ने राजू पाल की गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। सैकड़ों राउंड फायरिंग से गाड़ी में सवार लोगों का शरीर छलनी हो गया। राजू को 19 गोलियां लगी थीं। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में राजू पाल के दोस्त उमेश पाल मुख्य गवाह थे।
बाद में उमेशपाल को केस से बेदखल होने के लिए धमकियां भी मिलीं, लेकिन वह तैयार नहीं हुए। बाद में 28 फरवरी 2006 को उमेश किडनैप हो गया। उसे रातभर पीटा। डर के मारे उमेश ने अतीक के पक्ष में गवाही भी दे दी।
फिर 2007 में उमेश ने केस दर्ज कराया
आखिरकार उमेश के मन में टीस थी। वर्ष 2007 में उमेश ने अतीक के खिलाफ किडनैपिंग का केस दर्ज कराया। आखिरकार उसे न्याय मिला, लेकिन फैसले से एक महीने पहले उमेश की हत्या कर दी गई।
अतीक पर दर्ज हो हैं 101 केस
अतीक के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में 50 मामले कोर्ट में चल रहे हैं, जिनमें एनएसए, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के डेढ़ दर्जन से अधिक केस हैं। उस पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद उसने जुर्म की दुनिया में पीछे मुड़कर नहीं देखा। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने केस दर्ज होते रहे। इसके साथ ही उसका राजनीतिक रुतबा भी बढ़ता गया।
एनएसए भी लगाया जा चुका है
1989 में वह पहली बार विधायक बना, तो जुर्म की दुनिया में उसका दखल कई जिलों तक हो गया। 1992 में पहली बार गैंग को आईएस 227 के रूप में सूचीबद्ध करते हुए पुलिस ने अतीक को गिरोह का सरगना घोषित कर दिया। 1993 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड ने अतीक को कुख्यात किया। गैंगस्टर एक्ट के साथ ही उसके खिलाफ कई बार गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की गई। एक बार तो एनएसए भी लगाया जा चुका है।
पूरे मामले को शुरू से समझते हैं कि आखिर कब–क्या हुआ
24 फरवरी
- BSP विधायक राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या
25 फरवरी
- अतीक अहमद के परिवार को मामले में नामजद किया गया।
- अतीक को पूछताछ के लिए अहमदाबाद से यूपी लाने की तैयारी।
1 मार्च
- अतीक अहमद के वकील हनीफ खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
- वकील ने याचिका में अतीक अहमद के यूपी की जेल में प्रस्तावित ट्रांसफर का विरोध किया।
- याचिका में आरोप लगाया कि अतीक अहमद का फर्जी एनकाउंटर किया जा सकता है।
- साथ ही कहा गया कि अगर यूपी भी लाया जाए तो सेंट्रल फोर्स की सुरक्षा में लाया जाए
2 मार्च
- अतीक अहमद की याचिका पर जल्दी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 17 मार्च की तारीख दी
- याचिका में जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी, जिसे स्वीकार कर लिया।
17 मार्च
- अतीक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली।
- अतीक अहमद के वकील ने अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने के लिए समय मांगा।
- याचिकाकर्ता के वकील ने बहस करने में असमर्थता जताई।
- यह मामला अगली सुनवाई तक के लिए टल गया।