इंदौर में भूमाफिया चंपू अजमेरा के यहां ईडी का छापा, धाेखाधड़ी के 24 से ज्यादा केस दर्ज हैं

इंदौर। इंदौर के भूमाफिया चंपू अजमेरा, नीलेश अजमेरा के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार सुबह छापा मारा है। ईडी की टीम चंपू के पालीवाल नगर समेत अन्य ठिकानों पर सर्चिंग कर रही है। चंपू के खिलाफ थाना बाणगंगा, लसूड़िया, तेजाजी नगर और तुकोगंज में धोखाधड़ी के 24 से ज्यादा केस दर्ज हैं।
चंपू पर बाणगंगा में कालिंदी गोल्ड सिटी, फीनिक्स टाउनशिप, तेजाजी नगर में सैटेलाइट हिल्स काॅलोनी में धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने दिसंबर 2019 में उसके घर दबिश दी थी। चंपू की पत्नी योगिता को भी गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि वह चंपू की कंपनी के बोर्ड में शामिल है। पुलिस चंपू के पिता को भी गिरफ्तार कर चुकी है।
हालांकि चंपू घर पर नहीं मिला था। पुलिस ने कुछ समय बाद प्लॉटधारकों से सेटलमेंट के लिए उज्जैन से इंदौर आते समय उसे गिरफ्तार किया था। उसके पास से एक कार भी जब्त की गई थी।
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जिस प्लॉट के पैसे दिए, वह था ही नहीं
सुखलिया के सीजेआरएम में रहने वाले मोहनलाल श्रीवास्तव ने शिकायत की थी। इसके बाद पुलिस ने चंपू पर धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था। मोहनलाल ने बताया था कि उसने चंपू की कंपनी फीनिक्स देवकॉन की कॉलोनी में 2009 में प्लॉट खरीदा था। पूरा पैसा दे दिया। रजिस्ट्री भी हो गई। कुछ समय बाद कब्जा लेने पहुंचे, तो पता चला कि वहां कोई प्लॉट ही नहीं था। चंपू से प्लॉट का बोला, तो उसने धमकाया।
एक अन्य केस बजरंग नगर निवासी हीरालाल मलेरिया की शिकायत पर दर्ज हुआ है। उन्होंने 2010 में फीनिक्स देवकॉन में प्लॉट खरीदा था। नक्शे में चंपू ने जो जगह बताई, वहां प्लॉट ही नहीं था।
मृत किसान के नाम पर ली विकास की अनुमति
कालिंदी गोल्ड, फीनिक्स टाउनशिप और सैटेलाइट हिल्स मामले में पीड़ितों की सुनवाई कर रही हाई पावर कमेटी की जांच में सामने आया था कि भूमाफिया चंपू अजमेरा ने मृत किसान के नाम पर फीनिक्स टाउनशिप में विकास की अनुमति ली थी।
कॉलोनी में सेवाराम नामक किसान की जमीन भी थी। उसकी मृत्यु 2005 में ही हो गई थी। फीनिक्स के डायरेक्टरों ने विकास अनुमति के लिए वर्ष 2009 में आवेदन प्रस्तुत किया था। इस पर उन सभी किसानों के हस्ताक्षर थे, जिनकी जमीन फीनिक्स में शामिल थी। आवेदन पर सेवाराम के नाम से हस्ताक्षर किए गए थे। इसी आवेदन के आधार पर 23 मार्च 2009 को विकास अनुमति भी जारी हो गई थी।
जमीन देने के संबंध में शपथ पत्र भी बनाया
शिकायतकर्ता ने बताया कि सेवाराम नामक सहित कई किसानों के हस्ताक्षर से पहले विकास अनुमति प्राप्त की गई। कंपनी ने इन किसानों के साथ जमीन देने के संबंध में शपथ पत्र भी बनाया था। इस पर सेवाराम का नाम भी था।