दिग्विजय सिंह ने EVM पर फिर उठाए सवाल, गड़बड़ी का डेमो भी दिया; कहा- चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने फिर एक बार ईवीएम, वीवीपैट और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। बुधवार को उन्होंने भोपाल में श्यामला हिल्स स्थित अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईवीएम में गड़बड़ी का डेमो भी दिया। दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है, दबाव में है। आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं। ईवीएम का काम प्राइवेट लोगों के हाथ में है। जब सॉफ्टवेयर ही सब करता है, तो वही तय करेगा सरकार किसकी बनेगी।’
दिग्विजय ने कहा कि 140 करोड़ आबादी वाले देश में जहां 90 करोड़ मतदाता हैं, तो क्या हम ऐसे लोगों के हाथ में ये सब तय करने का अधिकार दे दें। इलेक्शन प्रोसेस का मालिक न मतदाता है, न अधिकारी-कर्मचारी हैं। इसका मालिक सॉफ्टवेयर बनाने और डालने वाला है। उन्होंने कहा, सवालों के जवाब चुनाव आयोग नहीं दे रहा। हमसे कहते हैं कि 7 सेकंड के लिए वीवीपैट दिख जाता है, लेकिन वो जो दिखता है, वही छपता है, इसकी क्या गारंटी है?

ईवीएम में गड़बड़ी का डेमो
प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ दिग्विजय सिंह ने आईआईटी दिल्ली के अतुल पटेल से मतदान प्रक्रिया का डैमो दिलाया। इस दौरान एक ईवीएम में 10 वोट डाले गए। उन्होंने बताया कि 2017 में वीवीपैट का ग्लास बदल दिया गया था। वोट डालने के बाद 7 सेकेंड के लिए वीवीपैट में लाइट जलती है। वोटर पर्ची देखकर चला जाता है।
आईआईटीयन अतुल पटेल ने मशीन की गड़बड़ी को दिखाने के लिए एक चिह्न तरबूज पर दो वोट डाले। पहला तरबूज की पर्ची वीवीपैट में दिखी। दूसरा वोट तरबूज का बटन दबाने के बावजूद सेब की पर्ची प्रिंट हुई। अतुल ने कहा, 2013 से चुनावी प्रक्रिया पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम बैलेट पेपर से वोटिंग की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कहा- चुनाव आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद
दिग्विजय ने कहा- मैंने मुख्यमंत्री काल में टीएन सेशन साहब का जमाना देखा है। हम लोग कुछ कह दें, तो ईसीआई (इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया) नोटिस दे देता है। नरेंद्र मोदी कर्नाटक में कहें कि बजरंग बली की जय बोलो और कमल का बटन दबाओ, तो उनके खिलाफ एक्शन नहीं होता। कई बार मेरी बात पर आप लोग और मेरी पार्टी भी भरोसा नहीं करती है।
2024 के बाद लोकतंत्र नहीं रहेगा
दिग्विजय बोले- ईवीएम के वीवीपैट और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं। केवल सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। 2024 के बाद लोकतंत्र नहीं रहेगा। चुनाव बैलेट पेपर से हों। चुनाव आयोग को ईवीएम से इतना ही प्रेम है, तो वीवीपैट की पर्ची वोटर के हाथ में दे।
वीवीपैट पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डालते
आस्ट्रेलिया की तर्ज पर वीवीपैट पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डालते। आज विश्व में 5 देश ऐसे हैं, जहां EVM से वोट डाला जाता है। यहां सॉफ्टवेयर पब्लिक डोमेन में है। हमारे यहां 2003 से ही ऐसा नहीं है। कहते हैं इसमें समय लगेगा। अगर 5 साल के लिए सरकार तय करने के लिए 24-48 घंटे का समय भी नहीं दे सकते, हमसे हफ्ते भर ईवीएम की रखवाली कराते हैं, तो ईमानदारी से वोटिंग और काउंटिंग क्यों न हो।

सॉफ्टवेयर का हो सकता है दुरुपयोग
ईवीएम प्रामाणिकता को लेकर कोई भी जानकारी नहीं है। सॉफ्टवेयर कौन डाल रहा है, इसकी जानकारी भी नहीं है। सॉफ्टवेयर बनाने वाला, डालने वाला और सॉफ्टवेयर ही तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी। वोट डालने के बाद 7 सेकेंड के लिए वीवीपैट में लाइट जलती है। वोटर सिर्फ इसमें पर्ची देखकर चला जाता है।
चुनाव आयोग का कहना है कि सॉफ्टवेयर को पब्लिक डोमेन में नहीं रख सकते क्योंकि इसका दुरुपयोग हो सकता है। ये तो और भी खतरनाक है कि चुनाव आयोग मानता है इसका दुरुपयोग हो सकता है।
मप्र में 230 सीटों पर गड़बड़ी
कर्नाटक में हमारी सरकार बनी। भाजपा को जहां पता है कि उनकी पार्टी वहां है ही नहीं, ऐसी जगह में ईवीएम में गड़बड़ी नहीं करेंगे। मध्यप्रदेश में 230 सीटों पर गड़बड़ी की। 120-130 सीटों पर नहीं। 10% का स्विंग किया, इसलिए हम कुछ सीटें 60-70 हजार एक लाख से हार गए।
वीवीपैट की पर्ची बॉक्स में डालने में क्या दिक्कत
दिग्विजय ने कहा, चुनाव आयोग से इंडिया अलायंस की 24 पार्टियों ने समय मांगा, लेकिन हमें समय नहीं दे रहे। आयोग भाजपा के दबाव में है। मतदान मेरा अधिकार है। मेरा वोट वहीं जाए जहां मैं चाहता हूं। जो छपेगा वो काउंट होगा। जब 10 वोट डाले तो ज्यादा कैसे हो गए। ये केवल हम इसलिए आपके सामने लाए हैं कि जो दिखता है, वो छपता है। वीवीपैट की पर्ची हमें मिले और उस पर्ची को बैलेट बॉक्स में डालें। इसमें क्या दिक्कत है।
दिग्विजय ने बेल्जियम के वोटिंग सिस्टम की जानकारी देते हुए कहा, वीवीपैट की पर्ची मतदाता के हाथ में दी जाती है। ये डिजाइन हैकिंग के लिए आसान है। हमारे पास कई लोग आते हैं कि इतना पैसा दे दो, हम आपके लिए काम कर देंगे। ये सब बोगस है। ईवीएम बाहर से हैक नहीं की जा सकती। ये सिर्फ सॉफ्टवेयर की प्रोग्रामिंग से प्रकिया बदली जा सकती है।
फासिस्ट सिस्टम नहीं चलने देंगे
दिग्विजय ने कहा, नरेंद्र मोदी अमित शाह का जो आत्मविश्वास है, 2014 में कहा 272 सीटें मिलेंगी 284 मिलीं। 2019 में कहा, 300 के पार होगी, सीटें मिलीं 303 और अब कह कह रहे 400 पार। हम इस फासिस्ट सिस्टम नहीं चलने देंगे। मोदी ने पुलवामा और मामा ने लाड़ली बहना को लेकर वोट मांगे। अब कह रहे रामलला हम आएंगे। ये नरेटिव सेट कर रहे हैं।