शिवराज से लिपटकर रोईं लाड़ली बहनें, बोले- अपने लिए कुछ मांगे जाने से बेहतर मरना समझूंगा
भोपाल। मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मामा का रिश्ता प्यार का है, भैया का रिश्ता विश्वास का है, दोनों टूटने नहीं दूंगा।’
उन्होंने कहा कि ‘जनता के प्रति मेरा समर्पण और प्रतिबद्धता मुझे थकने और रुकने नहीं देती। दिल्ली जाने के सवाल पर शिवराज ने कहा, ‘अपने लिए कुछ मांग जाने से बेहतर, मरना समझूंगा।’
इससे पहले सीएम हाउस में शिवराज सिंह से महिलाओं ने मुलाकात की। वे शिवराज से लिपटकर रोने लगीं। उन्होंने लाड़ली बहनों को गले लगा लिया। इस दौरान शिवराज भी भावुक हो गए।
हमेशा सहयोग करता रहूंगा
शिवराज ने कहा कि ‘मैं नए मुख्यमंत्री मोहन यादव और दोनों उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा व राजेंद्र शुक्ला को बधाई देता हूं। विश्वास है कि मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा सरकार जो काम चल रहे हैं, उन्हें पूरा करेगी। प्रगति की दृष्टि से मध्यप्रदेश नई ऊंचाइयां छुएगा। मैं सदैव उनको सहयोग करता रहूंगा। आज मन में संतोष का भाव है। 2003 में उमा जी के नेतृत्व में भारी बहुमत से भाजपा सरकार बनी थी। तिरंगा वाले प्रकरण में उन्होंने पद छोड़ा था, फिर गौर साहब और फिर मैं सीएम बना।’
लाड़ली बहना पर कहा- मन आत्मसंतुष्टि से भरा
‘2008 में जनता के आशीर्वाद से फिर सरकार लेकर आए। 2013 में भी भाजपा की सरकार बनी। 2018 में हमें वोट ज्यादा मिले, सीटों के गणित में पिछड़ गए। आज मैं यहां से विदाई ले रहा हूं। मेरा मन आत्मसंतुष्टि से भरा है। केंद्र और राज्य की कल्याणकारी योजना, लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना की बदौलत सरकार बनी। भारी बहुमत वाली सरकार को 48.55% वोट मिले।’

पिछड़े से लेकर विकास का सफर तय किया
‘हमें विरासत में एक पिछड़ा और बीमारू मध्यप्रदेश मिला था। हमने विकास और प्रगति का लंबा सफर तय किया। इन वर्षों में मैंने मुझ में जितनी क्षमता थी, जितना सामर्थ्य था, पूरा झोंक कर अपने प्रदेश और जनता के कल्याण के लिए काम किया। पूरी प्रामाणिकता, ईमानदारी, परिश्रम के साथ अपनी प्राणों से प्यारी जनता का कल्याण हो, इसमें अपने आप को झोंका।’
बहन-बेटियों की जिंदगी में खुशी लाए
‘महिला सशक्तिकरण मेरे लिए वोट प्राप्त करने का जरिया नहीं है, वह मेरी अंतरआत्मा से निकला है, क्योंकि बचपन से मैंने बेटियों-बहनों की अपने गांव में दुर्दशा देखी है। बेटियां कोख में मारी जाती थीं, तब लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना ने जन्म लिया। लाड़ली लक्ष्मी, कन्या विवाह योजना, सरकारी नौकरियों में 33% आरक्षण, संपत्ति की खरीदने स्टांप शुल्क में छूट हो, लाड़ली बहन, संभल जैसी योजना बनाकर बहनों और बेटियों की जिंदगी में हम खुशी के पल ला पाए।’
टेम्पो से मेट्रो तक का सफर
भट्ट सूअर (टेम्पो) से लेकर हमारा सफर शुरू हुआ था। मेट्रो तक हमारा सफर चल रहा है। टूरिज्म हो या सांस्कृतिक पुनरुत्थान का एक नया दौर प्रारंभ करना हो, महाकाल लोक से लेकर एकात्म धाम और देवी लोक जैसे केंद्र स्थापित हुए। यह सारे काम मेरे मन को संतोष देते हैं।