CM शिवराज का ऐलान- सरताज सिंह की स्मृति में विकसित होगा आंवली घाट पूर्व मंत्री का इटारसी में अंतिम संस्कार
नर्मदापुरम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे सरताज सिंह के भोपाल स्थित आवास पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि सरताज सिंह ने अलग पहचान बनाई। मुख्यमंत्री ने पूर्व मंत्री की स्मृति में नर्मदापुरम के आंवली घाट को विकसित कराने की घोषणा की।
सरताज सिंह जब प्रदेश सरकार में PWD मंत्री थे, तब आंवली घाट का विकास हुआ था। उन्होंने तीर्थ यात्रियों के लिए रेस्ट हाउस, पार्क घाट का पक्का निर्माण, भगवान शिव की बड़ी प्रतिमा का निर्माण यहां कराया था।
सरताज सिंह का गुरुवार सुबह 5.30 बजे निधन हो गया था। उन्होंने भोपाल के अपोलो अस्पताल में 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वे काफी दिन से बीमार चल रहे थे। शुक्रवार को दोपहर उनका अंतिम संस्कार उनकी कर्मभूमि इटारसी में किया गया।
सरताज सिंह के छोटे भाई सुरिंदर पाल सिंह ने बताया कि पूर्व मंत्री के अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव देह को भाजपा जिला कार्यालय नर्मदापुरम में लाया गया। गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा इटारसी से अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। शांति धाम श्मशान घाट इटारसी में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। सरताज सिंह की तीन बेटियां है। तीनों की शादी हो चुकी है।

नगरपालिका चुनाव से शुरुआत, 13 दिन की सरकार में रहे मंत्री
भाजपा के सबसे पुराने नेताओं में से एक सरताज सिंह चुनावी राजनीति में अजेय माने जाते थे। वे अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। 2008 से 2016 तक मप्र सरकार में मंत्री रहे। केंद्र में एक बार स्वास्थ्य मंत्री और प्रदेश में वन व लोक निर्माण मंत्री रह चुके हैं। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद सरताज सिंह का परिवार इटारसी आकर बस गया था।
1960 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वे विष्णु कामथ के संपर्क में आए और उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1971 में सरताज सिंह इटारसी नगर पालिका के कार्यवाहक नगर पालिका अध्यक्ष बने। वर्ष 1989 से 1996 तक होशंगाबाद-नरसिंहपुर के सांसद का चुनाव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर नीखरा को हराकर जीता था।
वर्ष 1998 में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को भी इस क्षेत्र से हराया था। 1999 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। 2004 में पुन: लोकसभा चुनाव में विजयी रहे।
2008 में होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी व तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराया। 2013 के विधानसभा चुनाव में वे फिर जीतकर आए और मंत्री बने। 2018 में सरताज सिंह होशंगाबाद से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े। लेकिन वे अपने शिष्य डॉक्टर सीतासरन शर्मा से चुनाव हार गए।