Friday, November 15, 2024
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MP में CM के लिए 5 चेहरों पर दिल्ली में मंथन, संसदीय दल की बैठक में हो सकता है निर्णय

भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिली है। हालांकि अभी ये तय नहीं हो पाया है प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा। सीएम के चेहरे पर दिल्ली में मंथन होगा। इसके लिए भाजपा के केंद्रीय पदाधिकारी और मंत्री दिल्ली पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में सोमवार देर शाम तक भाजपा संसदीय दल की बैठक हो सकती है। बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा हो सकती है।

मप्र में 163 सीटें जीतकर बीजेपी ने दो तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल किया है। अब सीएम को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित आधा दर्जन नेता सीएम पद के दावेदार हैं। कारण- बीजेपी ने इस बार किसी एक नेता को सीएम का चेहरा नहीं बनाया। इस बार मोदी ने पूरा कैंपेन अपने हाथ में ले रखा था।

आज से संसद का शीतकालीन सत्र
संसद का शीतकालीन सत्र आज यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। इसमें भाग लेने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रहलाद पटेल रविवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे। एमपी से विधानसभा का चुनाव जीते नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल सीएम की रेस में हैं, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय भी मुख्यमंत्री के दावेदार हैं।

बीजेपी नियुक्त करेगी पर्यवेक्षक
मप्र के मुख्यमंत्री को लेकर बीजेपी जल्द ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर सकती है। ये पर्यवेक्षक एमपी के विधायक दल की बैठक लेकर विधायक दल के नेता का चयन करेंगे। इसी बैठक के बाद एमपी का मुख्यमंत्री तय हो जाएगा।

केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों पर होगा फैसला

एमपी के विधानसभा चुनाव में दो केंद्रीय मंत्री समत 5 सांसद जीते हैं। अब इन मंत्री और सांसदों को संसद की सदस्यता 14 दिन में छोड़नी होगी। यदि वे सदस्यता नहीं छोड़ते हैं, तो 14 दिनों के बाद सदस्यता समाप्त हो जाएगी। ऐसे में संभव है कि दो केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और सांसद राकेश सिंह, रीति पाठक व राव उदय प्रताप सिंह संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दें। क्योंकि, अगले पांच महीनों में लोकसभा के चुनाव होने हैं।

शिवराज को 5वां कार्यकाल
साल 2003 में बीजेपी ने दिग्विजय सिंह की सरकार को हरा कर 165 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया। सीएम बनी उमा भारती और फिर उनके इस्तीफे के बाद बाबूलाल गौर और उनके बाद 2005 में मप्र के मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान… 2003 में सत्ता में आने के बाद से लगातार 2008, 2013 के चुनाव जीतते हुए 2018 तक बीजेपी सरकार में रही।

15 साल बाद उलटफेर हुआ और कांग्रेस सत्ता में आई, लेकिन कमलनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार महज 15 महीने ही चल पाई। दलबदल के बाद शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए। इस बार बीजेपी को 2003 जैसी जीत मिली है। अब मप्र के मुख्यमंत्री को लेकर जनता के मन में सवाल उठ रहे हैं। सवाल भी इसलिए क्योंकि बीजेपी ने इस बार किसी एक नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा।

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