15 साल से साथ थे दृष्टिहीन दंपती, अब सात फेरे लेकर दांपत्य सूत्र में बंधे

जबलपुर। दोनों ने एक-दूसरे को मन की आंखों से देखा। एक-दूसरे को पसंद किया और दांपत्य सूत्र में बंध गए। जबलपुर में गुरुवार को दृष्टिहीन दंपती ने अग्नि के सात फेरे लेकर जिंदगी भर साथ रहने की कसम खाई। दोनों पिछले 15 साल से हॉस्टल में साथ रहकर पढ़ाई कर रहे थे। इस मौके पर उनके साथियों के साथ कई अधिकारी भी मौजूद रहे।
कटनी के रहने वाले वंदना और नरेन्द्र जन्म से दृष्टिहीन हैं। सदर काली मंदिर में हिंदू रीति रिवाज से गुरुवार को उनका विवाह हुआ। वे जबलपुर नेत्रहीन आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। दोनों आत्मनिर्भर होकर अपने पैरो में खड़े हो गए हैं।
15 साल से एक दूसरे को जानते हैं दोनों
वंदना और नरेंद्र की कहानी एक जैसी है। दोनों कटनी के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। नेत्रहीन होने के कारण 15 साल पहले माता-पिता नेत्रहीन आश्रम में छोड़कर चले गए। दोनों हाॅस्टल में रहकर पढ़ाई करने लगे। बचपन से दोनों एक-दूसरे को समझते थे, जानते थे, बड़े होकर भी दोस्ती कायम रही। दोनों ने एमए किया है। अब दोनों ही सरकारी नौकरी कर रहे हैं। नरेंद्र अंधमूक बाईपास में स्थित नेत्रहीन स्कूल में टीचर है, तो वंदना भी महाकौशल काॅलेज में जॉब कर रही है। गुरुवार को दोनों का ढोल धमाकों के साथ विवाद हुआ।

दोनों ने एक दूसरे को किया पसंद
हाॅस्टल अधीक्षक अंशुमान शुक्ला का कहना है कि वंदना का विवाह देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे कि हमारी बेटी का विवाह हुआ है। जैसे ही, नरेन्द्र की बारात आई तो ऐसा लगा कि वंदना के जीवन में चार चांद लग गए। भले ही दोनों की आंखें न हों, पर मन की आंखों से दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया। अब जिंदगी भर साथ निभाने की कसम खाते हुए एक दूसरे के हो गए।
राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने करवाया विवाह
राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने दोनों की शादी की जिम्ममेदारी उठाई। खाने-पीने से लेकर बारात, कपड़े जेवर गहने सभी की व्यवस्था संघ ने ही की है। संघ के अध्यक्ष शिव शंकर कपूर ने बताया कि ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है। हमने सोच रखा था कि वंदना और नरेंद्र का विवाह कराएंगे। वर-वधु दोनों ही शिक्षित और आत्मनिर्भर हैं। विवाह के बाद अब दोनों अंधमूक बाईपास में स्थित शासकीय मकान में रहेंगे।