Friday, October 31, 2025
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MP के सरकारी अस्पताल में दवाओं पर बारकोड और QR कोड जरूरी; नकली दवाओं की सप्लाई पर लगेगी रोक

Barcodes and QR codes are mandatory on medicines in MP government hospitals

भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवाओं पर बारकोड और क्यूआर कोड अनिवार्य होगा। नई व्यवस्था के तहत नकली दवाओं पर रोक लगाई जाएगी।

इससे मरीज, डॉक्टर और अस्पताल जांच सकेंगे कि दवा असली है या नकली। प्रदेश में हर साल दवा कारोबार करीब 10 हजार करोड़ रुपए का है। इसमें एक प्रतिशत से भी कम नकली दवाएं मिलने के बावजूद मरीजों की सुरक्षा पर बड़ा खतरा है। एसेंशियल ड्रग लिस्ट (EDL) में शामिल दवा बिना बारकोड के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई नहीं की जा सकेगी।

राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अगले वित्तीय वर्ष से पहले जिलों के जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य केंद्रों में यह सिस्टम लागू कर दिया जाए। इसके लिए फार्मा कंपनियों और सप्लायरों को नोटिस भेजा गया है।

Barcodes and QR codes are mandatory on medicines in MP government hospitals

स्कैन करते ही मिलेगी दवा की जानकारी

मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MPPHC) ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवाओं के लिए नई शर्तें जारी की हैं। अब जो भी कंपनी दवाएं सप्लाई करेगी, उसे पैकिंग पर QR कोड और बारकोड देना होगा।

इस कोड को स्कैन करते ही दवा का नाम, निर्माण कंपनी, निर्माण तिथि, बैच नंबर, लाइसेंस डिटेल और एक्सपायरी डेट की जानकारी मोबाइल पर दिखाई देगी। यह व्यवस्था फिलहाल करीब 500 से ज्यादा जरूरी (Essential) दवाओं पर लागू की जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यह सिस्टम आने वाले समय में प्रदेश के सभी अस्पतालों और दवा आपूर्ति केंद्रों में लागू किया जाएगा।

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नकली दवा पर लगाम लगाने की कोशिश

कुछ फार्मा गिरोह असली ब्रांड की तरह पैकिंग बनाकर ई-फार्मेसी और ऑनलाइन माध्यम से दवाएं बेच रहे हैं। बारकोडिंग से यह खेल खत्म होगा, क्योंकि अब अस्पताल स्तर पर भी दवा की पैकेजिंग स्कैन कर जांची जा सकेगी।

एक्सपर्ट के अनुसार अब तक राज्य में मिलने वाली करीब 1% दवाएं नकली या गलत पैकिंग में पाई गई हैं।

पुरानी दवाएं रहेंगी वैध

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन दवाओं की पैकिंग पहले से बिना बारकोड के मौजूद हैं, उन्हें निर्धारित अवधि तक उपयोग किया जा सकेगा। इसके बाद सभी पुरानी दवाओं को चरणबद्ध तरीके से बाजार से हटाया जाएगा।

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