कांग्रेस भाजपा में आए अक्षय बम को हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत: 17 साल पुराने केस में जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट
इंदौर। लोकसभा चुनाव के बीच इंदौर में कांग्रेस से भाजपा में आए अक्षय कांति बम को राहत मिली है। बुधवार को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी। दरअसल, 17 साल पुराने जमीन विवाद के केस में ट्रायल कोर्ट ने उनके खिलाफ 24 अप्रैल को धारा 307 बढ़ाने के आदेश दिए थे। सुनवाई से गैरहाजिर रहने पर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया। हाई कोर्ट से इस केस में अग्रिम जमानत मांगी थी। वहीं, ट्रायल कोर्ट से धारा 307 लगाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की है।
उनके वकील योगेश गुप्ता ने बताया कि इससे पहले, शुक्रवार 24 मई को मामले में सुनवाई हुई थी, जिसमें अगली तारीख 29 मई दी गई थी। अक्षय बम ने दो अलग-अलग अदालतों में याचिकाएं दायर कर रखी हैं। पुनर्विचार याचिका पर 5 जुलाई को सुनवाई होगी।
Akshay Bam got anticipatory bail from the High Court
17 साल पहले जमीन विवाद में फायरिंग का आरोप
2007 के जमीन विवाद से जुड़े मामले के फरियादी युनूस पटेल के खेत पर विवाद हुआ था। इसमें फायरिंग, बलवा आदि के आरोप थे। पुलिस ने सिर्फ हमला, मारपीट और धमकाने की रिपोर्ट दर्ज की थी। आरोप है कि यूनुस पर गोली भी चलाई गई थी, लेकिन खजराना पुलिस ने FIR में हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी थी। इसी के खिलाफ युनूस ने ट्रायल कोर्ट में आवेदन दिया था। पिछले महीने 24 अप्रैल को फरियादी की गुहार पर आरोपी अक्षय बम, उनके पिता कांति व अन्य आरोपियों के खिलाफ धारा 307 यानी प्राणघातक हमले की धारा बढ़ा दी गई। 10 मई को पेश होने के आदेश दिए थे।
Akshay Bam got anticipatory bail from the High Court
कोर्ट नहीं पहुंचे, बीजेपी नेताओं के साथ घूमते अक्षय
अक्षय और उनके पिता ट्रायल कोर्ट में 10 मई को गैरहाजिर रहे। सामाजिक और बीमारी का कारण बताकर दोनों ने हाजिरी माफी मांगी थी। ट्रायल कोर्ट ने आवेदन खारिज कर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। पुलिस को उसे गिरफ्तार करने के आदेश हैं ,लेकिन 14 दिन बाद भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई है। इसके उलट, पुलिस ने थाने के बजाय लाइन से अलग बल भेजकर अक्षय बम को सुरक्षा मुहैया करा रखी है। इस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
Akshay Bam got anticipatory bail from the High Court
धारा 307 बढ़ी तो पांचवें दिन मंत्री के साथ जाकर नाम वापस लिया
दरअसल, अक्षय बम को कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट दिया था। वे चुनाव प्रचार भी करते रहे। नामांकन के दौरान 24 अप्रैल को उनके खिलाफ धारा 307 बढ़ गई। इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम हुआ और अक्षय ने 29 अप्रैल को भाजपा विधायक और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला के साथ जाकर चुनाव से नाम वापस ले लिया।