मौत के बाद भी काम करता है आधार, बंद करने का नहीं तरीका
कल्लूराम ब्यूरो रिपोर्ट। आधार कार्ड सरकारी योजनाओं के लाभ लेने समेत खुद की पहचान के लिए जरूरी दस्तावेज है। ऐसे में सरकार मृतक व्यक्तियों के आधार को बंद करने पर विचार कर रही है। हालांकि, इसे करने के लिए वर्तमान में सरकार के पास सिस्टम या तरीका नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के मुताबिकवर्तमान में, राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त रजिस्ट्रारों से मृतक व्यक्तियों का आधार प्राप्त करने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए तंत्र नहीं है।”
हालांकि, भारत के महारजिस्ट्रार ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के मसौदा संशोधन पर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) से सुझाव मांगे थे, ताकि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते समय ही किसी मृत व्यक्ति के आधार को बंद किया जा सके। जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत राज्यों द्वारा नियुक्त रजिस्ट्रार स्थानीय क्षेत्रों में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण करते हैं।
नहीं होगा आधार कार्ड का जनगणना में इस्तेमाल
हाल में आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने संसद में दिए लिखित जवाब में कहा था कि आधार कार्ड को जनगणना में इस्तेमाल करने का सरकार का फिलहाल इरादा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मृतकों के आधार को वापस लेने, बंद करने की कोई व्यवस्था भी नहीं है। ये जानकारी कांग्रेस सांसद एडवोकेट अडूर प्रकाश ने आईटी मंत्री से पूछी थी।
हर 10 साल में जनगणना का है प्रावधान
UIDAI के मुताबिक, फरवरी 2023 के अंत तक 136 करोड़ से अधिक आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं। भारत में आखिरी जनगणना 2011 में कराई गई थी। इससे पहले देश में 15 बार जनगणना हो चुकी है। साल 2011 के बाद अगली जनगणना 2021 में कराई जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से ये नहीं हो पाई थी। देश में जनगणना हर 10 साल में होती है। साल 1951 की बाद की सभी जनगणनाएं 1948 के जनगणना अधिनियम के तहत हुई हैं।