Sunday, June 8, 2025
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सनातन विरोधियों पर होगा एक्शन, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- खुद को भगवान बताने वाले संतों को कुंभ में भूमि नहीं देंगे

Action will be taken against Sanatan opponents, President of Akhara Parishad said - will not give land in Kumbh to the saints who call themselves God, Kalluram News, Today Updates, Ujjain
अखाड़े के अध्यक्ष रविंद्र पुरी जी महाराज मंगलवर को उज्जैन पहुंचे।

उज्जैन। सनातन धर्म के विरोधियों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। खुद को भगवान बताने वाले साधु-संतों पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने नाराजगी जताई है। उज्जैन पहुंचे रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि आजकल ट्रेंड चला है कि हर कोई खुद को उपासक-पुजारी नहीं, भगवान कह रहा है। खुद को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और राम कह रहे हैं। ऐसे संतों पर कार्रवाई होना जरूरी है। प्रयागराज के कुंभ में ऐसे व्यक्तियों को भूमि नहीं दी जाएगी।

अगले साल यानी 2025 में प्रयागराज में कुंभ का आयोजन किया जाएगा। उज्जैन में 4 साल बाद कुंभ होना है। ऐसे में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष मंगलवार को यहां व्यवस्थाएं देखने आए थे। उन्होंने कहा, सनातन संस्कृति के विरोध में जाने वाले पर कार्रवाई होगी। मंच से अल्लाह हू अकबर कहना, नमाज पढ़ना उचित नहीं है। मंच पर पति-पत्नी बैठकर शादी करें, ये चीजें अच्छी नहीं हैं। ऐसे संतों को चिह्नित किया जाएगा।

Action will be taken against Sanatan opponents

112 संतों को नोटिस, सितंबर तक जवाब मांगा

6 महामंडलेश्वर को निष्कासित करने के संबंध में रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि फिलहाल दो महीने पहले सिर्फ उज्जैन में महिला महामंडलेश्वर को निष्कासित किया गया है, अन्य किसी को नहीं। 112 संतों को नोटिस देने के संबंध में उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों की अपनी व्यवस्था है। अखाड़े से संबंधित किसी संत को गलती करने पर उनके अखाड़े ने नोटिस जारी किया होगा और वही कार्रवाई भी करेंगे।

जूना अखाड़े ने 54 संत, श्री निरंजनी अखाड़े ने 24 संतों और निर्मोही अनी अखाड़े ने 34 संतों को नोटिस दिया है। इसके कहा गया है कि 30 सितंबर तक संतोषजनक जवाब नहीं देने पर कुंभ मेले में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

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अखाड़ा क्या होता है?

पहले आश्रमों के अखाड़ों को बेड़ा अर्थात साधुओं का जत्था कहते थे। जत्थे में पीर होते थे। अखाड़ा शब्द का चलन मुगलकाल से शुरू हुआ। हालांकि, कुछ ग्रंथों के मुताबिक अलख शब्द से ही ‘अखाड़ा’ शब्द की उत्पत्ति हुई, जबकि धर्म के जानकारों के मुताबिक साधुओं के अक्खड़ स्वभाव के चलते इसे अखाड़ा नाम दिया गया है।

माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने धर्म प्रचार के लिए भारत भ्रमण के दौरान इन अखाड़ों को तैयार किया था। देश में फिलहाल शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं।

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