महाकाल को अर्पित की राखी, सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया; जबलपुर में 81 फीट ऊंचे मंदिर में विशेष पूजा

भोपाल। आज सावन का 5वां और आखिरी सोमवार है। इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जा रहा है। इस मौके पर उज्जैन में भगवान महाकाल को भस्म आरती के समय पंडे-पुजारियों के परिवार ने राखी अर्पित की। माना जाता है कि बाबा महाकाल को सबसे पहले राखी बांधी जाती है। इसके बाद सभी जगह राखी बांधी जाती है।
उज्जैन में शाम 4 बजे बाबा सावन महीने की महाकाल की अंतिम सवारी निकाली जाएगी। महाकाल होलकर मुखारविंद स्वरूप में प्रजा का हाल जानने निकलेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी सवारी में शामिल होंगे। सीआरपीएफ बैंड भी साथ चलेगा।
Rakhi was offered to Mahakal 1.25 lakh laddus were offered
इस बार यह खास संयोग रहा कि सावन महीने की शुरुआत सोमवार से हुई और इसका समापन भी सोमवार से हो रहा है।
इसके अलावा खंडवा के ओंकारेश्वर, सीहोर के कुबेरेश्वर धाम, मंदसौर के पशुपतिनाथ, ग्वालियर के अचलेश्वर महादेव, भोपाल के भोजपुर, छिंदवाड़ा के पातालेश्वर मंदिर में भी भगवान भोलेनाथ का पूजन-अर्चन किया जा रहा है। सभी भगवान का विशेष श्रृंगार भी किया गया है।

4 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की संभावना
महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए भक्त रविवार रात से ही कतार में लगना शुरू हो गए थे। भस्म आरती के लिए रविवार-सोमवार की दरमियानी रात 2.30 बजे पट खोल दिए गए। भस्म आरती में महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार हुआ। दर्शन का सिलसिला रात 10.30 बजे तक चलता रहेगा। 4 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की संभावना है।
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सवारी में गोंड जनजातीय कलाकार करमा-सैला
शाम 4 बजे से महाकाल सवारी में चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिव तांडव और नंदी पर उमा-महेश के स्वरूप में विराजित होकर प्रजा का हाल जानने निकलेंगे। डोल रथ पर होलकर स्टेट का मुखारविंद शामिल होगा।
डिंडौरी के गोंड जनजातीय समूह के 50 से अधिक कलाकार करमा, सैला नृत्य की प्रस्तुति देते हुए चलेंगे।

पुजारी परिवार की महिलाओं ने बनाई वैदिक राखी
महाकाल मंदिर के आशीष पुजारी ने बताया कि रक्षाबंधन के मौके पर बाबा महाकाल को वैदिक राखी बांधी गई है। ये सात दिन में बनकर तैयार होती है। इसमें तुलसी और बिल्व पत्रों का भी उपयोग होता है। पुजारी परिवार की महिलाएं ही इस राखी को बनाती हैं।
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