Sunday, July 27, 2025
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प्रशांत भूषण बोले-BJP को करप्ट कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड दिया, भोपाल में कहा- कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई

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सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा, ‘ करप्ट कंपनियों ने बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए करोड़ों रुपए दिए हैं। ऐसे में सरकार चंदा लेकर इन कंपनियों को क्लीनचिट दे सकती है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अगले हफ्ते सुनवाई है।’

प्रशांत भूषण शनिवार को भोपाल के गांधी भवन में मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘कोर्ट से SIT गठित कर जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, सीबीआई, ईडी के रिटायर्ड अधिकारियों की टीम को इसमें शामिल करने का अनुरोध किया है।’

उन्होंने कहा, ‘रेमडेसिविर दवा बनाने वाली जायडस कैडिला (अहमदाबाद की कंपनी) जैसी 20 से अधिक कंपनियों की दवाएं घातक होने के बाद भी देश में इसलिए चलने दिया गया, क्योंकि इन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को पैसा दिया था। इसके विरुद्ध खतरनाक दवा बनाने की रिपोर्ट आने के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई।’

सीबीआई, ईडी के दुरुपयोग की आशंका, इन्होंने कार्रवाई नहीं की

प्रशांत भूषण ने कहा, ’16 हजार करोड़ में से अधिकतम हिस्सा घूस के तौर पर दिया गया। इसमें सीबीआई, ईडी जैसी सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग की आशंका है। दरअसल, इनके जरिए किसी भी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। सीबीआई, ईडी और दूसरी जांच एजेंसियों का उपयोग इन कंपनियों पर दबाव बनाने के लिए भी किए जाने की आशंका है, इसलिए वे नहीं चाहते कि केंद्र के अधीन संस्थाएं कंपनियों की जांच करें।’

अंजलि भारद्वाज बोलीं- 40 % बॉन्ड बीजेपी को दिया गया

राष्ट्रीय जन सूचना अधिकार अभियान (NCPRI) की ओर से यह प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कहा, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड अनकांस्टिट्यूशनल है। यह बात खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि फिर उनकी सरकार बनी तो कांस्टिट्यूशन बदल देंगी।’

भारद्वाज ने कहा, ‘केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है कि 2जी का फैसला बदल दीजिए। जब इस मामले में फैसला आया था, तो पता चला था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी कर लाखों करोड़ की गड़बड़ी की गई है। मामले में भारती टेलिकॉम जिम्मेदार रही है। इस कंपनी ने बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड दिए हैं। यही स्थिति मेघा इंटरप्राइजेज कंपनी के मामले में भी है।’

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