Thursday, June 5, 2025
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जबलपुर में हनुमानजी को लगाया 1100 किलो के  लड्‌डू का भोग, मंदिरों पर भक्तों की लगी भीड़

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जबलपुर। हनुमान जयंती प्रदेशभर में मनाई जा रही है। इसी के साथ संस्कारधानी जबलपुर में भी कई कार्यक्रम किए गए। मंदिरों में सुंदरकांड, रामायण पाठ और भंडारे का आयोजन किया गया। गढ़ा क्षेत्र में स्थित पचमठा वाले हनुमानजी को 1100 किलो के लड्‌डू का भोग लगाया गया।

पिछले तीन साल से यहां भगवान को लड्डू का भोग लगाया जा रहा है। पहले यह लड्डू 1 टन का होता था।

हनुमान जी का प्रसाद पाने न सिर्फ दूर-दूर से भक्त आते हैं। पचमठा वाले हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में जो भी मनोकामना लेकर आते हैं, उनकी इच्छा पूरी होती है।

300 किलो बेसन, 200 लीटर घी, 25 किलो मेवा 

यह मंदिर गोंडवाना काल का है। यहां हनुमान जयंती की तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है। स्थानीय लोग उत्साह के साथ भगवान हनुमान जी का जन्मदिन मनाते हैं।

लड्डू बनाने की शुरुआत 2021 में की गई थी, पर कोरोना के कारण इसे व्यापक रूप से 2022 से शुरू किया गया। मोतीचूर का लड्डू बनाने के लिए 300 किलो बेसन, 200 लीटर वनस्पति घी, 25 किलो ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल होता है। लड्डू के लिए चार क्विंटल से अधिक शक्कर का इस्तेमाल किया जाता है, तब जाकर भगवान महावीर का प्रसाद तैयार होता है।

लड्‌डू का व्यास 4 फीट होता है

बाॅल जैसे आकार का विशाल लड्डू मंदिर में ही तैयार किया जाता है। एक सप्ताह पहले से इसकी तैयारी हो जाती है। जो लड्डू हनुमान जी के प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है, वह बाॅल से 1000 गुना तक बड़ा होता है। लड्डू का व्यास लगभग 4 फीट होता है और इसका वजन 1100 किलो होता है।

2022 में पहली बार इस लड्डू को बनाने के लिए नागपुर से कलाकार आए थे, लेकिन बीते साल से जबलपुर के ही हलवाई लड्डू को बना रहे हैं। लड्डू को बनाने में आसपास के लोगों का भी सहयोग रहता है। लड्डू की साज सज्जा में रंगों से कलाकारी की जाती है। मोतीचूर को अलग-अलग रंगों में डालकर लड्डू के ऊपर सुंदर कलाकृतियां बनाई जाती हैं।

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