ग्वालियर में 23 साल की शिवानी ने लड्डू गोपाल से रचाई शादी, भगवान को हाथ लगाकर मांग भरी; वरमाला पहनाकर सात फेरे लिए

ग्वालियर। ग्वालियर में 23 साल की शिवानी परिहार ने लड्डू गोपाल के शादी रचा ली। बुधवार शाम उन्होंने भगवान के साथ सात फेरे लिए। भगवान को हाथ लगाकर अपनी मांग भी भरी। वरमाला भी पहनाई। बारात वृंदावन (मथुरा) से आई थी। पीतल के बाल रूपी कृष्ण को दूल्हे की तरह श्रृंगार करके पंडित, साधु, संत और कृष्ण भक्त लेकर आए।
गुरुवार को शिवानी वृंदावन के लिए विदा हो गईं। शिवानी ने बताया कि 4-5 दिन बाद दूसरी विदाई होगी। इसके एक महीने बाद फिर वृंदावन जाऊंगी। वहां 4 – 5 साल रहकर अध्ययन करूंगी। भागवत और शिव पुराण पढ़ूंगी। मैं शिव जी को भी बहुत मानती हूं।
शिवानी ने बीकॉम किया है। शिवानी ने लड्डू गोपाल को हाथ लगाकर मांग में सिंदूर भरा। इस दौरान भजन भी गुनगुनाया ‘बसो, मेरे नैनन में नंदलाल…।’ ये पंक्तियां कभी मीरा बाई ने श्रीकृष्ण से प्रेम का इजहार करने के लिए गाई थी।
वृंदावन के पंडितों ने सुनाई कृष्ण की वंशावली
ग्वालियर में कैंसर पहाड़ी पर बने शिव मंदिर में पूरी रस्में हुईं। वृंदावन और ग्वालियर के पंडितों ने साथ मिलकर रस्में करवाईं। ग्वालियर के दामाद लड्डू गोपाल को द्वारचार कराया। मंडप में शिवानी का कन्यादान उन्हें बेटी की तरह मानने वाले गौरव शर्मा और उनकी पत्नी ने किया। फेरों के वक्त वृंदावन से आए पंडितों ने कृष्ण की वंशावली भी सुनाई।

लड्डू गोपाल के आगे मान गए
शिवानी ने कहा कि 7 साल पहले भगवान लड्डू गोपाल के साथ विवाह करने का संकल्प लिया था। मेरी बहन और रिश्तेदार जो लोकलाज के चलते नाराज थे, वे भी लड्डू गोपाल के आगे पिघल गए। घर में नाच-गाना और मंगलगीत गाए गए। मैं इतना कहूंगी कि ऐसे वर को क्या वरुं, जो जनमे और मर जाए, क्यों न ठाकुर को वरुं, जो मेरा जोड़ा अमर हो जाए…। मैं अब श्याम सुंदर की दासी बन गई। उनके चरणों में जीवन बिताऊंगी।’
शिवानी के पिता राम प्रताप परिहार सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। मां मीरा परिहार गृहिणी हैं। दो बेटियां है। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। मीरा ने बताया कि पहले हम तैयार नहीं थे, लेकिन बेटी की भक्ति देखकर मान गए। शादी के सभी रीति-रिवाज पूरे किए। मंडप, हल्दी, मेहंदी कार्यक्रम किए गए।
भोज में सब्जी-पूड़ी, रायता, गुलाब जामुन और बर्फी
आयोजन जनचेतना एवं जन कल्याण संस्था की ओर से कराया गया। शादी का सर्टिफिकेट भी दिया। भोज भी किया गया। सब्जी, पूड़ी, रायता, गुलाब जामुन और बर्फी बनवाई गई थी। वृंदावन से भगवान लड्डू गोपाल की बारात लेकर ग्वालियर आए पंडित चरणदास ने बताया, ‘विवाह सांस्कृतिक तरीके से कराया गया है। पहले द्वार पर जिस तरह से दूल्हे का द्वार पाटिका होता है, इसी प्रकार लड्डू गोपाल का भी हुआ। फेरे हुए, मांग भराई, पैर पुजाई और चढ़ावा भी चढ़ाया गया है।’