Friday, September 12, 2025
MP

उज्जैन में हरसिद्धि शक्तिपीठ में 51 फीट ऊंचे दीप स्‍तंभ में लगी आग, कई दीपक टूटकर गिरे 

उज्जैन। देशभर में 51 शक्तिपीठों में से शामिल उज्जैन के माता हरसिद्धि मंदिर में स्थित 51 फीट ऊंचे दीप स्तंभ में गुरुवार को आग लग गई। इससे दीप स्तंभ के एक दर्जन से अधिक दीप खंडित होकर गिर गए। फायर ब्रिगेड ने आधे घंटे में आग पर काबू पाया। 

मंदिर के पंडित राजेश गोस्वामी ने बताया, दोपहर करीब 1 बजे कुछ महिला श्रद्धालुओं ने 108 दीप प्रज्ज्वलित कर दीप स्तंभ के पास रख दिए। इन्हीं दीपकों की वजह से दो दीप स्तंभ में से एक ने आग पकड़ ली। देखते ही देखते आग ने पूरे दीप स्तंभ को चपेट में ले लिया। इसके बाद मंदिर में अफरा-तफरी मच गई। 

पंडित गोस्वामी ने बताया कि एक दर्जन से ज्यादा दीपक टूट गए हैं, जिन्हें बनाने के लिए राजस्थान से कारीगरों को बुलाया है। जब तक दीप स्तंभ दोबारा बन नहीं जाता, तब तक प्रतीकात्मक रूप से स्तंभ के नीचे के दीप जलाए जाएंगे। 

राजा विक्रमादित्य के जमाने का है दीप स्तंभ

मंदिर में स्थापित 51 फीट ऊंचे 1011 दीपों के दो दीप स्तंभ हैं। दोनों ही स्तंभ अति प्राचीन हैं। मान्यता है कि इन्हें राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। उस जमाने से इनमें दीपक जलते आ रहे हैं। आज भी इन दीप स्तंभों को रोशन करने के लिए तीन-तीन महीने की वेटिंग चलती है। पहले इन्हें त्योहार, नवरात्र में ही जलाया जाता था। अब ये सालभर रोशन रहते हैं।

हरसिद्धि माता राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी मानी जाती हैं। यहीं पर मौजूद है 2000 साल पुराना 51 फीट ऊंचा दीप स्तंभ। इन दीयों को 6 लोग 5 मिनट में प्रज्ज्वलित कर देते हैं। इसके बाद पूरा मंदिर रोशनी से जगमग हो उठता है। इसमें 60 लीटर तेल और 4 किलो रुई लगती है।

ये है मान्यता

शास्त्रों के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया था। इसमें सभी देवी-देवता को आमंत्रित किया गया था, लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया। यहां पहुंचने पर माता सती को ये बात पता चली। माता सती को शिव का अपमान सहन नहीं हुआ। उन्होंने खुद को यज्ञ की अग्नि के हवाले कर दिया।

भगवान शिव को ये पता चला, तो वे क्रोधित हो गए। वे सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी का चक्कर लगाने लगे। शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के 51 टुकड़े कर दिए। माना जाता है कि जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। उज्जैन में इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी। इस मंदिर का नाम हरसिद्धि रखा गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *