मॉब लिंचिंग पीड़ितों को धर्म के आधार पर देते हैं मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में हेट क्राइम और मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को समान मुआवजा देने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई। याचिका ‘इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स’ (IMPAR) ने दायर की थी, जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया। मामले में सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता बोले- धर्म के आधार पर देते हैं मुआवजा
याचिका में कहा गया कि राज्य मुआवजा देने के मामले में भेदभावपूर्ण और मनमाना रवैया अपनाते हैं। पीड़ितों के परिवारों को उनके धर्म के हिसाब से मुआवजा देने का ट्रेंड देखा गया है। कई मामलों में जब पीड़ित दूसरे धर्मों से थे, तो ज्यादा मुआवजा दिया गया। वहीं, अल्पसंख्यक समुदाय के पीड़ितों को काफी कम मुआवजा दिया गया।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या हुई थी। इसे हेट क्राइम माना गया था। मामले में राजस्थान के सीएम ने पीड़ित के परिवार वालों से मुलाकात की थी। इसके बाद 51 लाख रुपए दिए थे। साथ ही, पीड़ित के दो बेटों को सरकारी नौकरी भी दी गई।
उधर, 17 फरवरी को एक कार में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की जली हुई बॉडीज मिली थी। मामले में सरकार ने सिर्फ 5 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी। ये आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है।
यूनिफॉर्म कंपेनसेशन स्कीम बनाने की मांग
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील जावेद शेख ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यों को एक यूनिफॉर्म कंपनशेसन स्कीम बनाने के निर्देश देने की मांग की। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के हिसाब से योजनाएं बनाई हैं, लेकिन इनमें कोई समानता नहीं है। वहीं, कई राज्यों ने अभी तक ऐसी योजना नहीं बनाई है।
4 हफ्ते में दें जवाब
जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने सरकारों से कहा कि वे 4 हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उन्होंने मॉब लिंचिंग पीड़ितों के परिवारों को राहत देने की योजना बनाने के लिए क्या कदम उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के तहसीन पूनावाला मामले में ऐसी योजना बनाने का निर्देश दिया था।