भोपाल गैसकांड में अवमानना के दोषी अफसरों की सजा का फैसला स्थगित, अगली सुनवाई 19 फरवरी को
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अवमानना के दोषी अफसरों की सजा का फैसला फिलहाल स्थगित कर दिया है। अफसराें की ओर से हाई कोर्ट में पुनर्विचार का आवेदन लगाया था। कोर्ट ने कहा- पहले पुनर्विचार आवेदन पर सुनवाई की जाएगी।
केंद्र और राज्य सरकार के 9 अफसरों को भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास से जुड़े कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का दोषी पाया गया है। इस मामले में बुधवार को सजा सुनाई जानी थी। अब अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन समेत अन्य की याचिका की सुनवाई की थी। कोर्ट ने गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में निर्देश दिए थे। कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी गठित कर हर तीन महीने में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा था। साथ ही, रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दिए जाने थे। बावजूद अफसरों ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।
जबलपुर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने बताया कि साल 2015 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने 16 नवंबर को केंद्र और राज्य के 9 अफसरों को अवमानना का दोषी माना। सजा सुनाए जाने के लिए 17 जनवरी 2024 को संबंधित अफसरों को कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश दिए।
बुधवार को सुनवाई के दौरान अफसरों ने कोर्ट में पुनर्विचार आवेदन दिया। इसमें कहा- मामले में सजा सुनाए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए। इसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
ये 9 अफसर जिम्मेदार
1 . राजेश भूषण – सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर – दिल्ली
2 . आरती आहूजा – सचिव, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय – दिल्ली
3 . डॉ. प्रभा देशिकन , तत्कालीन डायरेक्टर, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर – भोपाल
4 . डॉ. आरआर तिवारी, डायरेक्टर, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन इनवायर्मेंटल हेल्थ – भोपाल
5 . इकबाल सिंह बैस , तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी – मध्यप्रदेश
6 . मोहम्मद सुलेमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास – भोपाल
7 . अमर कुमार सिन्हा – राज्य सूचना अधिकारी – भोपाल
8 . विनोद विश्वकर्मा , एनआईसीएसआई – दिल्ली
9 . आर. रामा कृष्णनन , सीनियर डिप्टी डायरेक्टर, आईसीएमआर – दिल्ली
हेल्थ कार्ड तक नहीं बने
- अवमानना याचिका में कहा गया कि गैस पीड़ितों का इलाज तो दूर, उनके हेल्थ कार्ड तक नहीं बने।
- अस्पतालों में उपकरण व दवाएं नहीं हैं।
- भोपाल मेमोरियल अस्पताल एंड रिसर्च (बीएमएचआरसी) के भर्ती नियम तय नहीं होने से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर सेवाएं प्रदान नहीं कर रहे।
- पीड़ितों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।
- बीएमएचआरसी के लिए स्वीकृत 1,247 पदों में से 498 पद रिक्त पड़े हैं।
16 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में बेंच ने कहा था कि अधिकारियों ने गैस पीड़ितों को बेसहारा छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में तत्परता व ईमानदारी से काम नहीं हुआ। गैस पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता दिखाई गई है। प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान की थी। युगल पीठ ने अवमानना के तीनों दोषियों को जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे।