मोहन यादव ने मुख्यंमत्री और जगदीश देवड़ा-राजेंद्र शुक्ला ने ली डिप्टी CM की शपथ, शाम को कैबिनेट की पहली बैठक
भोपाल। मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव ने बुधवार को पद और गोपनीयता की शपथ ली। वे MP के 19वें मुख्यमंत्री हैं। उनके अलावा, जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल ने डिप्टी CM के रूप में शपथ ग्रहण की। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सभी को शपथ दिलाई। भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में समारोह सिर्फ 10 मिनट का रहा।
समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत 11 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। मुख्यमंत्री मोहन यादव महाकाल के दर्शन करने उज्जैन जाएंगे। इसके बाद कामकाज शुरू करेंगे। शाम 5 बजे मंत्रालय में कैबिनेट की पहली बैठक होगी।
इससे पहले, मोहन यादव ने कहा कि ‘सभी को साथ लेकर चलूंगा और सुशासन सुनिश्चित करूंगा।’ शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि नए मुख्यमंत्री राज्य में समृद्धि, विकास और जन कल्याण को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। मित्रो, अब विदा। जस की तस धर दीनी चदरिया…।’ चुनाव परिणाम के बाद और नए सीएम फेस को लेकर चल रही अटकलों के बाद शिवराज ने X अकाउंट पर लिखा था, ‘राम-राम।’

यादव ने स्थिर लग्न शुभ चौघड़िया में ली शपथ
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार सुबह 11:30 बजे स्थिर लग्न और शुभ चौघड़िया में शपथ ली। पं. चंदन श्यामनारायण व्यास ने बताया कि सुबह 11 बजे से 12:20 बजे तक शुभ चौघड़िया रहा। इसके साथ ही 11:09 से 12:42 बजे तक स्थिर कुंभ लग्न था। यह शनि का लग्न है। शनि देव न्याय के देवता हैं। इस दौरान शपथ लेने से लंबा कार्यकाल मुख्यमंत्री का रहेगा।
समारोह में तीन मंच, एक पर साधु-संत बैठे
समारोह में तीन मंच बनाए गए। मुख्य मंच के बीचों-बीच तीन कुर्सियां रखी गई थीं। बीच वाली कुर्सी पर राज्यपाल मंगू भाई पटेल बैठे। उनके दाईं ओर PM मोदी और बाईं तरफ मुख्यमंत्री मोहन यादव बैठे। मोहन यादव PM की कुर्सी के दाईं तरफ खड़े थे तो मोदी ने हाथ पकड़कर उनसे बैठने को कहा।
तीन मंच के बाईं तरफ के मंच पर करीब एक दर्जन साधु-संत बैठे थे। दाईं तरफ के मंच पर BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री बैठे थे। इन्हीं कुर्सियों पर नरेंद्र सिंह तोमर, शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह भी बैठे थे। सांसद से विधायक बनीं रीति पाठक आमजन के बीच बैठी थीं।

अब तक मध्यप्रदेश के CM…
शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री के आधिकारिक X हैंडल से मोहन यादव को 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने की जानकारी दी गई। हालांकि, वे 19वें मुख्यमंत्री हैं। विधानसभा की वेबसाइट के मुताबिक मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में कुल 20 नाम शामिल हैं। इनमें विजय राजे सिंधिया का नाम भी है। स्पष्ट किया गया है कि वे चौथी विधानसभा (1967-1972) में सदन की नेता तो रही हैं, लेकिन बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने शपथ नहीं ली। इस दौरान गोविंद नारायण सिंह मुख्यमंत्री रहे।
- 19). मोहन यादव
- 18). शिवराज सिंह चौहान
- 17). कमलनाथ
- 16). बाबूलाल गौर
- 15). उमा भारती
- 14). दिग्विजय सिंह
- 13). सुंदरलाल पटवा
- 12). श्यामाचरण शुक्ल
- 11). मोतीलाल वोरा
- 10). अर्जुन सिंह
- 9). वीरेंद्र कुमार सखलेचा
- 8). कैलाश जोशी
- 7). प्रकाश चंद्र सेठी
- 6). राजा नरेशचंद्र सिंह
- * विजय राजे सिंधिया (सदन की नेता रहीं। बतौर CM शपथ नहीं ली)
- 5). गोविंद नारायण सिंह
- 4). पं. द्वारिका प्रसाद
- 3). कैलाश नाथ काटजू
- 2). भगवंत राव मंडलोई
- 1). पं. रविशंकर शुक्ल
(विजय राजे सिंधिया- मुख्यमंत्री सदन का नेता होता है, लेकिन चौथी विधानसभा में गोविंद नारायण सिंह के कार्यकाल (1967-1972) में सिंधिया सदन की नेता रहीं। मुख्यमंत्री नहीं)
सोर्स: एमपी विधानसभा

अब मंत्रिमंडल भी चौंका सकता है
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल के चेहरे तलाशने की भी तैयारी है। बड़े नेताओं से प्रारंभिक चर्चा के बाद यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद दिल्ली जाएंगे। गुजरात फॉर्मूला चलता है, तो कैबिनेट नए चेहरों के साथ बनेगी। जो लंबे समय से मंत्री रहे, ऐसे कई बड़े नाम बाहर होंगे। उन्हें सिर्फ जातिगत गणित (सोशल इंजीनियरिंग) ही बचा पाएगा। यानी CM चेहरे की तरह अब मंत्रिमंडल भी चौंकाएगा।
स्पष्ट होगी बड़े नेताओं की भूमिका
पार्टी सूत्रों का कहना है कि डिप्टी CM और स्पीकर की नियुक्ति के बाद हाईकमान बचे बड़े नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, गोपाल भार्गव, जयंत मलैया, विजय शाह, भूपेंद्र सिंह, बिसाहूलाल सिंह जैसे कुछ नेताओं की भूमिका जल्द स्पष्ट करेगा। इसके बाद ही मंत्रिमंडल के नाम फाइनल होंगे। संघ के नामों को प्राथमिकता में रखा जा सकता है। इसके साथ जातिगत समीकरण और महिलाओं को भी प्राथमिकता दी जा सकती है। बताया गया है कि रीजन व संभागों में भी संतुलन बैठाया जाएगा।