छिंदवाड़ा में CM के सामने लगे भितरघातियों के खिलाफ लगे नारे, कांग्रेस ने उठाया फायदा
छिंदवाड़ा। प्रदेश में भले ही भाजपा दो तिहाई बहुमत से जीती हो, लेकिन छिंदवाड़ा में सातों सीटें हार गई। रिजल्ट के बाद सीएम शिवराज सबसे पहले छिंदवाड़ा पहुंचे। यहां सीएम की सभा में महिला कार्यकर्ताओं ने भितरघातियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वहीं, दूसरी ओर मंच से मुख्यमंत्री सीएम का स्वागत किया गया। हालांकि कुछ देर बाद नारे लगना बंद हो गए। इधर, हवाई पट्टी में जवाबदार संगठनों के पदाधिकारियों के बीच तीखी नोक झोंक होना भी उदाहरण है।
वहीं, मुख्यमंत्री को विदा करने के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं का भिड़ जाना पार्टी की साख को बट्टा लगाना है। जिलेभर में ये चर्चा है। कांग्रेस ने भितरघातियों की मदद से सातों उम्मीदवारों काे धूल चटा दी। जिस भाजपा ने कार्यकर्ताओं को बुलंदियों तक पहुंचाया।
आज वही कार्यकर्ता टिकट नहीं मिलने से उसी पार्टी के साथ भितरघात कर मंच साझा करते दिखाई दिए। वहीं, मतदान पर सातों सीट हराने के बाद बधाइयां देते भी नजर आए। जनता दबी जुबान में कह रही है कि जिस झाड़ के नीचे बैठे, उसी झाड़ की जड़ खोद दी है।
नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने केंद्रीय मंत्रियों की फेहरिस्त पहुंची थी। इसके बाद भी नाराज कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्रियों की नहीं मानी। इसका उदाहरण मुख्यमंत्री की सभा में देखने मिला। यही नहीं, सभी ये गद्दार मंच साझा करते नजर आए। भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं ने भरी जनता के बीच गद्दारों को हटाने नारे लगाए।

कार्यकर्ताओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि मंच में जो मुख्यमंत्री के साथ है, उसमें भितरघातियों की फौज है। ऐसे में सवाल है कि क्या अब यह परंपरा बन गई है। जिसको टिकट नहीं मिलेगी, वो इसी तरह भितरघात करेगा। क्योंकि यही स्थिति नगर निगम चुनाव में भी देखने मिली थी। विरोधाभास के चलते भाजपा नगर निगम चुनाव हार गई। वहीं, सब विधान सभा चुनाव में देखने मिला।
मुख्यमंत्री ने छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया। सवाल है कि क्या आने वाले लोकसभा चुनाव में विरोधाभास फिर दोहराया जाएगा? हालांकि मुख्यमंत्री ने मंच से ऐलान कर दिया कि इस बार प्रदेश की पूरी 29 सीट जीतकर नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना है।
बाहर का रास्ता दिखाएंगी भाजपा ?
सवाल यह है कि भाजपा संगठन से दूर होकर पार्टी के खिलाफ काम करने वाले नेताओं पर कार्रवाई करेगी? इस फेहरिस्त में युवा से लेकर वरिष्ठ और वयोवृद्ध नेता शामिल है। जिनके कारण भाजपा को जिले की सातों सीट गंवाना पड़ी।
नहीं मिल पाए नए वोट
छिंदवाड़ा विधान सभा में पिछले चुनाव में तकरीबन 89 हजार वोट मिले थे। इस बार के चुनाव में करीब 96 हजार वोट मिले है। ऐसे में भाजपा पांच साल की मेहनत में महज 6 हजार वोट ही कबाड़ पाई। लाड़ली लक्ष्मी योजना से लेकर प्रदेश और केंद्र की सभी महत्वकांक्षी योजनाएं धरी की धरी रह गई। यही हाल अमरवाड़ा में भी देखने मिला। जहां भाजपा गोंडवाना के बोट भाजपा में तब्दील नहीं कर पाई।