ग्वालियर अब ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’, UNESCO ने दिया दर्जा; सिंधिया ने कहा- गौरव भरा पल
ग्वालियर। यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) ने संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली ग्वालियर को ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ की मान्यता दी है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे गौरव भरा पल बताया। उन्होंने बुधवार सुबह ट्वीट किया। लिखा- ‘मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर प्रदेश खासकर ग्वालियर वासियों के लिए एक गौरव भरा ऐतिहासिक पल’।
इससे पहले यूनेस्को ने 2016 में वाराणसी और साल 2017 में चेन्नई को सिटी ऑफ म्यूजिक को यह दर्जा दिया गया था।
बता दें कि संगीत सम्राट तानसेन का जन्म ग्वालियर से करीब 45 किमी दूर ग्राम बेहट में मकरंद बघेल के घर हुआ था। वे अकबर के नवरत्नों में से एक थे। तानसेन का नाम रामतनु था। वे स्वामी हरिदास के शिष्य थे। बाद में उन्होंने हजरत मुहम्मद गौस से संगीत सीखा। उन्हें उनकी महाकाव्य ध्रुपद रचनाओं के लिए याद किया जाता है, जिसमें कई नए राग रचे गए। साथ ही, संगीत पर दो क्लासिक पुस्तकें श्री गणेश स्तोत्र और संगीता सारा लिखी गईं।
UNESCO का सिटी ऑफ म्यूजिक प्रोग्राम व्यापक क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क का हिस्सा है। ये नेटवर्क 2004 में लॉन्च हुआ था। ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ टाइटल के लिए, शहरों को यूनेस्को के निर्धारित इन मानदंडों को पूरा करना होता है…
- संगीत निर्माण और गतिविधि के लिए मान्यता प्राप्त केंद्र।
- राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगीत समारोहों और कार्यक्रमों की मेजबानी करने का अनुभव।
- संगीत उद्योग को उसके सभी रूपों में बढ़ावा देना।
- संगीत विद्यालय, संरक्षिकाएं, अकादमियां और संगीत में विशेषज्ञता वाले उच्च शिक्षा संस्थान।
- संगीत शिक्षा के लिए अनौपचारिक संरचनाएं, जिनमें शौकिया गायक मंडल और आर्केस्ट्रा शामिल हैं।
- संगीत की विशेष शैलियों और अन्य देशों के संगीत को समर्पित घरेलू या अंतरराष्ट्रीय मंच।
- संगीत का अभ्यास करने और सुनने के लिए उपयुक्त सांस्कृतिक स्थान, जैसे खुली हवा वाले सभागार।