Sunday, July 27, 2025
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सावन का 5वां सोमवार: भगवान शिव के जयकारों से गूंजा महाकाल मंदिर; रात 12 बजे से दर्शनों के लिए लाइन में लगे भक्त

उज्जैन। आज सावन महीने का 5वां सोमवार है। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के बाहर रात 12 बजे से भक्त लाइन में लगने लगे। तड़के 2.30 बजे पट खुलते ही मंदिर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठा।

बाबा महाकाल को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन कर भस्म अर्पित की गई। भांग, चंदन और आभूषणों से राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार कर आरती की गई।

दिनभर दर्शन का सिलसिला चलता रहेगा। रात 10.45 पर शयन आरती के बाद समाप्त होगा।

प्रशासन का दावा- 40 मिनट में कराएंगे दर्शन

मंदिर प्रशासक संदीप सोनी का कहना है कि इस बार भक्तों की भीड़ बढ़ने की संभावना है। भक्तों को 40 मिनट में दर्शन मिल सकें, इसके इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि अल सुबह भस्म आरती में भगवान महाकाल पहला पूजन किया गया। गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल पूजन किया।

हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती के बाद भांग, चंदन, अबीर के साथ महाकाल ने मस्तक पर ऊं चंद्र और त्रिपुण्ड अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। श्रृंगार के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई।

भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता की गई है। जिला और पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों को तैनात किया है।

शाम 4 बजे नगर भ्रमण पर निकलेंगे राजाधिराज महाकाल

अधिक मास होने के चलते शाम 4 बजे भगवान महाकाल नगर भ्रमण पर निकलेंगे। इसमें भगवान महाकाल डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद शामिल होगा। सवारी में चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर मनमहेश की प्रतिमा, गरुड़ पर सवार भगवान शिव तांडव की प्रतिमा के साथ नंदी रथ पर उमा महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद शामिल हाेंगे।

मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान पालकी में सवार राजा महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर देंगे। इसके बाद सवारी आगे बढ़ेगी। सवारी मंदिर से प्रारंभ होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा-अर्चना की जाएगी। पूजन के बाद सवारी परंपरागत मार्ग से होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी।

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