Sunday, June 8, 2025
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दिग्विजयसिंह पर FIR मामले में इंदौर होईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, फैसला सुरक्षित

इंदौर। आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर पर टिप्पणी कर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह की मुश्किल बढ़ गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया। साथ ही, राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि एक ही कृत्य के लिए एक से ज्यादा एफआईआर दर्ज नहीं हो सकतीं। मामले में दर्ज सभी एफआईआर में शिकायतकर्ता एक ही संगठन से जुड़े हैं। धाराएं भी समान हैं, इसलिए इंदौर के तुकोगंज थाने में दर्ज एफआईआर को छोड़कर शेष एफआईआर निरस्त की जाएं।

याचिका में कहा गया कि सबसे पहले इस मामले में तुकोगंज थाने में केस दर्ज हुआ था। हम उसे स्वीकार नहीं कर रहे, बल्कि हमने उस मामले में न्यायालय के समक्ष पक्ष रखा है। सिंह की ओर से रवीन्द्र सिंह छाबड़ा ने याचिका लगाई है, जबकि पैरवी एडवोकेट विभोर खंडेलवाल कर रहे हैं।

यह है मामला…

दिग्विजयसिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में 8 जुलाई को एडवोकेट राजेश जोशी ने एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि सोशल मीडिया पर संघ की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से द्वितीय सरसंघ चालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर की तस्वीर के साथ मिथ्या और अनर्गल पोस्ट प्रसारित की है। इसके बाद इसी पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ देवास, उज्जैन, गुना और राजगढ़ में भी केस दर्ज किया गया। सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तुकोगंज थाने को छोड़कर शेष एफआईआर निरस्त करने की मांग की है।

यह थी टिप्पणी

दिग्विजय ने ट्विटर पर तस्वीर पोस्ट कर उसमें लिखा था, ‘सदाशिव राव गोलवलकर ने अपनी पुस्तक ‘वी एंड अवर नेशनहुड आईडेंटिफाइड’ में स्पष्ट लिखा है। जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति, राज्यों की जमीन और जंगल पर अपने दो तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दें। 95% जनता को भिखारी बना दें उसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी।

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