बुरहानपुर में पांच महीने से टापू पर फंसे 40 बंदर बंदर, 35 की भूख-प्यास से मौत; अब जिंदा बचे बंदरों के रेस्क्यू के लिए बनाया ब्रिज
बुरहानपुर। बुरहानपुर में शाहपुर के जंगल में टापू पर पांच महीने से बंदर फंसे हैं। डैम का पानी आने से 40 बंदर निकल नहीं पाए। यहां सिर्फ अब 5 बंदर ही बचे हैं, बाकी 35 की मौत हो गई। अब जिंदा बचे बंदरों के रेस्क्यू के लिए वन विभाग तीन दिन से कोशिश कर रहा है। मंगलवार को दिनभर रेस्क्यू चला। वन विभाग ने लकड़ी का ब्रिज भी बनाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। टीम ने बुधवार को फिर रेस्क्यू शुरू किया।
यहां शाहपुर में भावसा मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत डैम का काम चल रहा था। बारिश के दिनों में अचानक यहां पानी भर गया। इससे टापू पर करीब 40 बंदर फंस गए। टापू पर इमली का पेड़ पर बंदर बैठकर पत्तियां खाते रह। पत्तियां खत्म हो गईं, तो पेड़ की छाल खा रहे हैं।
डैम इंजीनियर शुभम राठौर और कर्मचारी प्रकाश ठाकुर बंदरों पर दूरबीन से नजर रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब पांच बंदर इमली के पेड़ पर नजर आ रहे हैं।
तीन दिन पहले ही पता चला
एसडीओ (सब डिविजनल ऑफिसर), शाहपुर रेंज और बोदरली रेंज के ऑफिसर सहित करीब 15 वनकर्मियों की टीम बंदरों के रेस्क्यू में लगी है। SDO अजय सागर ने बताया कि तीन दिन पहले ही सूचना मिली। इसके बाद महाराष्ट्र से तैराक बुलाए गए, लेकिन बंदर नीचे ही नहीं उतरे। डैम की गहराई काफी है। मंगलवार को वन विभाग ने लकड़ी और रस्सी से पानी में तैरता हुआ ब्रिज बनाया। साथ ही, ट्यूब और लकड़ी के फट्टों से नाव भी बनाकर रखी। लोगों को देखकर बंदर टापू से नहीं आ रहे हैं।